भाजपा विधायकों के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर उठा सवाल 

Question raised in assembly regarding decision of SC on the suspension of BJP MLAs
भाजपा विधायकों के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर उठा सवाल 
विधानसभा भाजपा विधायकों के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर उठा सवाल 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भाजपा के 12 विधायकों के निलंबन के मामले में सुप्रीमकोर्ट के फैसले का मुद्दा गुरूवार को विधानसभा में उठा। प्रश्नकाल के दौरान शिवसेना के भास्कर जाधव ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज हमने सुप्रीमकोर्ट के फैसले को स्वीकार कर लिया तो कल हाईकोर्ट और उससे निचली अदालतें भी इसी तरह फैसले देने लगेंगी। विधानसभा के भीतर जो कामकाज होता है उसमें हस्तक्षेप का अधिकार अदालतों को नहीं हैं। इसके बाद भाजपा से सदस्यों ने हंगामा किया तो सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। कार्यवाही फिर शुरू होने पर जाधव ने कहा कि 2021 के मॉनसून सत्र के दौरान निलंबित किए गए भाजपा विधायक कैसे सदन में बैठ रहे हैं जबकि सदन ने निलंबन वापस नहीं लिया है। जाधव ने कहा कि वे भाजपा विधायकों के खिलाफ नहीं हैं वे सिर्फ विधायिका के कामकाज में अदालत के हस्तक्षेप पर सवाल उठा रहे हैं। विधायिका के अधिकारों पर अतिक्रमण किया जा रहा है। 

जबाव में भाजपा के आशीष शेलार ने कहा कि कहा कि सदन के अधिकार के प्रति हमें भी चिंता है लेकिन सुप्रीमकोर्ट का फैसला सदन के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं है क्योंकि अदालत ने जिस प्रस्ताव को मंजूर किया गया उसे अवैध, असंवैधानिक और अतार्कित करार दिया। अदालत ने सदन के निलंबित करने के अधिकार को माना लेकिन कहा कि सिर्फ मौजूदा सत्र तक विधायक को निलंबित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार अदालत में गई थी लेकिन सदन की ओर से अदालत में कोई नहीं गया। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के चुनौती भी नहीं दी गई। सुप्रीमकोर्ट ने इससे पहले दो बार मामला सुलझाने का मौका दिया लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। 

खुद के सही होने के दावा नहीं कर सकते भाजपा विधायकः परब

इस पर संसदीय कार्यमंत्री अनिल परब ने कहा कि भाजपा नेता इस फैसले को अपने पक्ष में बता रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि अदालत ने निलंबन को गलत नहीं बताया सिर्फ एक सत्र के लिए निलंबन के अधिकार को स्वीकार किया। यानी सजा को अदालत ने स्वीकार किया है। जिस तरह फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दिए जाने पर किसी को बरी नहीं माना जाता उसी तरह निलंबन की अवधि कम होने पर भाजपा नेता खुद के सही होने का दावा नहीं कर सकते। निलंबित किए गए सदस्य बुलाने पर सुनवाई के लिए नहीं आए। परब ने कहा कि इस मामले में विधायिका के अधिकार के संरक्षण के लिए राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाया है। जवाब में आशीष शेलार ने कहा कि यह दावा झूठा है कि हम सुनवाई के लिए नहीं आए। हमने मामले में लिखित आवेदन किया था। सरकार के अहंकार के चलते हमारा सिर भी शर्म से झुका है। बुधवार को यह मुद्दा उठाने वाले नाना पटोले एक बार फिर इस पर बोलने के लिए खड़े हुए लेकिन भाजपा सदस्य हंगामा करने लगे। इसके बाद तालिका अध्यक्ष ने कहा कि अब यह मुद्दा खत्म हो गया है किसी को इस पर बोलने की इजाजत नहीं दी जाएगी। 

 

Created On :   10 March 2022 9:09 PM IST

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