पूरे राज्य में शराब बंदी की मांग पर उठ रहे सवाल, सरकार नहीं छोड़ना चाहती लाखों की आय

Questions arising on the demand for liquor ban throughout the state
पूरे राज्य में शराब बंदी की मांग पर उठ रहे सवाल, सरकार नहीं छोड़ना चाहती लाखों की आय
पूरे राज्य में शराब बंदी की मांग पर उठ रहे सवाल, सरकार नहीं छोड़ना चाहती लाखों की आय

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ के वर्धा, चंद्रपुर और गड़चिरोली में शराबबंदी के बाद अब पूरे राज्य में भी शराबबंदी की मांग उठ रही है, लेकिन शराब से हजारों करोड़ कमाने वाली राज्य सरकार ने संपूर्ण राज्य में शराबबंदी से इनकार कर दिया है। इसके लिए अजीबो-गरीब तर्क दिया गया। सरकार का कहना है कि यदि शराबबंदी की तो इससे अनधिकृत और अवैध शराब बिकेगी। इसका नागरिकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। इसलिए शराबबंदी नहीं की जानी चाहिए। यह तर्क असानी से लोगों के गले नहीं उतर रहा है। इस तर्क ने एक नई बहस छेड़ दी है। शराबबंदी की मांग विधानपरिषद में उठाने वाले एनसीपी विधायक प्रकाश गजभिये का कहना है कि जब जनहित में बिहार ने शराबबंदी कर 3300 करोड़ का राजस्व त्याग दिया तो फिर महाराष्ट्र क्यों नहीं। दरअसल, शराब बिक्री से सरकार को करोड़ों रुपए की आय होती है जिसे वह किसी भी हाल में नहीं छोड़ना चाहती।

विधानपरिषद में उठी थी मांग 
एनसीपी विधायक प्रकाश गजभिये ने 26 जुलाई 2016 को विधानपरिषद में विशेष उल्लेख के तहत शराब बंदी के संबंध में सवाल उठाया था, जिसका जवाब सरकार ने डेढ़ साल बाद दिया है। हाल में आबकारी मंत्रालय से राकांपा विधायक को पत्र जारी में राज्य में संपूर्ण शराब बंदी करने से इनकार कर दिया है। जवाब में सरकार ने कहा कि राज्य में 1949 से 1963 तक शराबबंदी थी, किन्तु शराबबंदी का विपरीत अनुभव आए।  जैसे अवैध शराब बिक्री और अपराध में बढ़ोतरी होने के बाद 1965 में विदेशी शराब के लाइसेंस दिए गए। 1971-72 में जहरीली शराब के मामले सामने आने के बाद 1973 से देशी शराब निर्मिती व बिक्री योजना अमल में लाई गई। शराब का उत्पादन व बिक्री पर अनुक्रम उत्पादन शुल्क व बिक्री कर वसूला जाता है। शराब बंदी किए गए राज्यों में से गुजरात छोड़कर आंध्रप्रदेश, हरियाणा, मणिपुर, मिजोरम व केरल ने कुछ साल बाद ही शराब बंदी समाप्त कर दी। 

शराब के कारण बढ़े अपराध: गजभिये 
राकांपा विधायक प्रकाश गजभिये ने सरकार की इस भूमिका पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि बिहार को शराब बिक्री से सालाना 3300 करोड़ रुपए मिलते थे। लेकिन एक झटके में उन्होंने संपूर्ण राज्य में शराबबंदी लागू कर दी है। अगर बिहार सरकार इतना बड़ा कदम उठा सकती है तो महाराष्ट्र सरकार क्यों नहीं? राज्य में महिलाओं पर लगातार अत्याचार बढ़ रहे हैं। अन्य अपराधों में भी बढ़ोतरी हुई है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के सर्वे में महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर है। अगर शराबबंदी लागू होती है तो काफी हद तक अपराधों में कमी आ सकती है। श्री गजभिये ने कहा कि 2016 में पूछे गए सवाल का सरकार ने डेढ़ साल बाद जवाब दिया है। इससे सरकार की उदासीनता का भी पता चलता है। 

सरकार इस पक्ष में है
न्यूनतम शराब बिक्री से अधिक से अधिक राजस्व कैसे मिले, इस नीति पर ही काम किया जा रहा। राज्य सरकार को वर्ष 2016-17 में शराब के उत्पादन शुल्क 12,228 करोड़ और बिक्री कर के रूप में लगभग 5900 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ। इसी तरह 2017-18 में राज्य उत्पादन शुल्क विभाग से 14,300 करोड़ रुपए टारगेट दिया गया था। सरकार ने दावा किया कि न्यूनतम शराब बिक्री से अधिक से अधिक राजस्व कैसे मिले, इस नीति पर ही काम किया जा रहा है। राज्य के आबकारी मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले द्वारा राकांपा विधायक प्रकाश गजभिये को जारी पत्र में कहा गया कि अगर राज्य में संपूर्ण  शराबबंदी की जाती है तो उसके दुष्परिणाम दिख सकते हैं।  

इधर... जहां शराबबंदी हुई वहां ये हुआ असर
महिलाओं पर अत्याचार हुए कम, हिंसा में कमी आई
वर्धा, चंद्रपुर, गड़चिरोली में शराबबंदी से महिलाओं पर अत्याचार कम हुए हैं। खासकर घरेलू हिंसा और त्योहारों के मौके पर होने वाली हिंसा में बड़े पैमाने पर कमी आई है। शराबबंदी लागू होने से इसकी आपूर्ति में भी काफी हद तक कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में शराब न के बराबर है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में अभी भी शराब तस्करी हो रही है। इसके लिए खुद सरकार जिम्मेदार है। सरकार ने शराबबंदी के लिए ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम सुरक्षा दल जैसे अनेक उपाय योजना किए, लेकिन शहरी क्षेत्रों में कोई कदम नहीं उठाए गए। एक तरह छूट दे रखी है। बिहार जैसे राज्य में शराब बंदी हो सकती है तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं? क्या सरकार इसकी गारंटी देगी कि शराब बिक्री शुरू रहते किसी की मौत नहीं होगी? तो फिर शराबबंदी के बाद मौत पर सरकार क्यों कपोल-कल्पनाएं कर रही है। 
-पारोमिता गोस्वामी, शराबबंदी आंदोलन की नेता 

Created On :   8 May 2018 6:24 AM GMT

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