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शिवसेना विधायक कांदे की याचिका पर चुनाव आयोग ने जताई आपत्ति
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारत निर्वाचन आयोग ने बांबे हाईकोर्ट में दावा किया है कि राज्यसभा चुनाव के बाद शिवसेना विधायक सुहास कांदे के मत को अवैध ठहराए जाने को लेकर दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं हैं। 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने विधायक कांदे के मत को अवैध ठहरा दिया था। आयोग के इस फैसले को कांदे ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। बुधवार को न्यायमूर्ति एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति धीरज सिंह ठाकुर की खंडपीठ के सामने कांदे की याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान भारत निर्वाचन आयोग व मुख्य निर्वाचन आयुक्त की ओर से पैरवी कर अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड ने कांदे की याचिका पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता(कांदे) ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी है इसलिए याचिकाकर्ता को चुनावी याचिका दायर करनी चाहिए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि हम इस मुद्दे को लेकर 24 जून को सुनवाई करेंगे।
गौरतलब है कि याचिका में कादे ने कहा कि चुनाव आयोग का फैसला मेरी गरिमा व प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाता हैं। लिहाजा चुनाव आयोग के फैसले को रद्द कर दिया जाए। क्योंकि चुनाव आयोग ने मुझे कोई नोटिस दिए बिना व मेरा पक्ष सुने बिना ही मेरे मत को अवैध ठहरा दिया है। कांदे ने याचिका में कहा हैं कि 10 जून 2022 को राज्यसभा की 6 सीटों के लिए मतदान हुआ था। इस दौरान मैंने नियमों के अनुसार अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। नियमों के तहत मैंने अपना मतपत्र शिवसेना नेता सुनील प्रभु को दिखाया था। क्योंकि उन्होंने चुनाव को लेकर विप जारी किया था। याचिका में दावा किया गया है कि विधायक योगेश सागर ने मुझ पर मतपत्र की गोपनीयता भंग करने व मदतान से जुड़े प्रोटोकॉल को उल्लंघन करने के साथ दूसरे दल के नेता को अपना दिखाने का आरोप लगाया था लेकिन यह गलत है। मैंने शिवसेना नेता प्रभु के अलावा किसी को अपना मतपत्र नहीं दिखाया हैं। मुझ पर मतपत्र दिखाने का आरोप मेरे मतदान कक्ष को छोड़ने के बाद लगाया गया हैं। राज्य चुनाव अधिकारी ने अपने फैसले में विधायक सागर के आरोप को तथ्यहीन पाया था और मेरे मत को वैध माना है।
Created On :   15 Jun 2022 9:00 PM IST