11 साल बार बरी हुआ रेप का आरोपी, हाईकोर्ट ने कहा - सजा कायम रखने जरुरी होते हैं ठोस सबूत

Rape accused acquitted after 11 years, HC said - solid evidence is necessary to maintain the sentence
11 साल बार बरी हुआ रेप का आरोपी, हाईकोर्ट ने कहा - सजा कायम रखने जरुरी होते हैं ठोस सबूत
11 साल बार बरी हुआ रेप का आरोपी, हाईकोर्ट ने कहा - सजा कायम रखने जरुरी होते हैं ठोस सबूत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि संभावनाओं के आधार पर आरोपी की सजा को बरकरार नहीं रखा जा सकता है। सजा को कायम रखने के लिए ठोस सबूतों का होना जरुरी है। यह बात कहते हुए हाईकोर्ट ने साल 2010 से दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद एक शिक्षक को 11 साल बाद मामले से बरी कर दिया है। इससे पहले निचली अदालत ने साल 2013 में इस मामले में आरोपी शिक्षक को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ शिक्षक ने साल 2014 में हाईकोर्ट में अपील की थी। 

न्यायमूर्ति साधना जाधव व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने अपील पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने शिक्षक को दोषी ठहरानेवाले आदेश को निरस्त करते हुए आरोपी को तत्काल कोल्हापुर जेल से बरी करने का निर्देश दिया। कक्षा तीन में पढनेवाली मामले से जुड़ी पीड़िता ने दावा किया था कि उसके चित्रकला के शिक्षक ने उस समय अश्लील हरकत की थी जब वह शौचालय जा रही थी।

पीड़िता ने अपने बयान में कहा था कि उसके साथ चित्रकला के शिक्षक ने दुष्कर्म किया है जबकि आरोपी जीवविज्ञान विषय पढाता था। जिस वक्त यह अपराध हुआ, घटनास्थल पर दो लोग थे। मामले से जुड़े घटनाक्रम पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि रिकार्ड दर्शाते हैं कि मामले से जुड़ा अपराध स्कूल के मध्यांतर (रेसस) के दौरान हुआ था। लेकिन आरोपी रेसस से एक घंटे पहले ही स्कूल से निकल गया था।

इसके अलावा पीड़िता ने स्कूल के सभी कर्मचारियों की दिखाई गई फोटो में से एक अन्य शिक्षक की पहचान की थी। किंतु उसके अभिभावकों ने इस पर विश्वास करने से इंकार कर दिया था। खंडपीठ ने कहा कि हमे इस मामले में अभिभावकों का कृत्य विश्वसनीय नहीं लग रहा है। जबकि स्कूल ने आरोपी शिक्षक को काफी अनुशासित व कर्मठ बताया है। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में कई चीजे अस्पष्ट नजर आ रही हैं। हम अभियोजन पक्ष जैसा ही बचाव पक्ष के सबूतों को महत्व देंगे।

आरोपी की सजा को कामय रखने के लिए ठोस व पुष्ट सबूतों की जरुरत पड़ती है। इस मामले में इसका अभाव नजर आ रहा है। महज संभावनाओं के आधार पर आरोपी की सजा को कायम नहीं रखा जा सकता है। जेल में बंद आरोपी शिक्षक की सुनाई गई सजा को रद्द कर दिया और उसे मामले से बरी कर दिया। 

 

Created On :   26 March 2021 8:14 PM IST

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