डीएनए न मिलने से निर्दोष साबित नहीं हो सकता रेप का आरोपी, नाशिक के आरोपी को नहीं मिली राहत

Rape accused cannot be proved innocent due to non-receipt of DNA
डीएनए न मिलने से निर्दोष साबित नहीं हो सकता रेप का आरोपी, नाशिक के आरोपी को नहीं मिली राहत
हाईकोर्ट डीएनए न मिलने से निर्दोष साबित नहीं हो सकता रेप का आरोपी, नाशिक के आरोपी को नहीं मिली राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आरोपी की डीएनए रिपोर्ट बच्चे से न मिलने का अर्थ यह नहीं है कि उसने पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए है। बांबे हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में एक आरोपी की दस साल के कारावास की सजा को कायम रखते हुए अपने फैसले में उपरोक्त बात कही है। नाशिक सत्र न्यायालय ने साल 2017 में दुष्कर्म से जुड़े मामले में दो आरोपियों को दस साल के कारावास की सजा सुनाई थी। जिसमें एक आरोपी नवनाथ गनगोडे ने सत्र न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल के सामने गनगोडे की अपील पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि गनगोडे व नाबालिग पीड़िता के बीच प्रेम संबंध थे। पीड़िता के घर में अकेले रहने पर गनगोडे उसके पास जाकर उससे संबंध बनाता था। एक दिन जब गनगोडे पीड़िता के घर से निकला तो दूसरे आरोपी ने उसे देख लिया। इसके बाद दूसरे आरोपी ने पीड़िता से कहा कि वह उसके साथ भी संबंध बनाए नहीं तो वह उसके प्रेम संबंध के बारे में सबको बता देगा। इस तरह दूसरे आरोपी ने भी पीड़िता की इच्छा की विरुद्ध उसके साथ संबंध बनाए जिसके बाद वह गर्भवती हो गई। पीड़िता की मां को जब इस बारे में पता चला तो दोनों आरोपियों ने पीड़िता के साथ संबंध बनाने की बात से इनकार कर दिया। इसके बाद साल 2015 में पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने मामले से जुड़े दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपियों की जब डीनएन जांच की गई तो गनगोडे का डीएनए बच्चे के साथ नहीं मिला। इसलिए गनगोडे ने खुद को इस मामले से बरी करने का आग्रह किया। गनगोडे के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि दुष्कर्म के समय पीड़िता की उम्र 18 साल से कम थी। इसके अलावा डीएनए रिपोर्ट मेरे मुवक्किल से नहीं मिलती है। इसलिए उसे मामले से बरी कर दिया जाए। इस दौरान सरकारी वकील ने आरोपी की रिहाई का विरोध किया। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 13 साल थी। इसलिए इस मामले में पीड़िता की सहमति का कोई मतलब नहीं है। इसके अलावा पीड़िता ने कहा था कि यदि आरोपी (गनगोडे) उससे विवाह कर ले तो वह एफआईआर दर्ज नहीं कराएगी लेकिन आरोपी इसके लिए तैयार नहीं हुआ। जहां तक बात डीएनए रिपोर्ट की है तो यदि आरोपी की डीएनए रिपोर्ट बच्चे से नहीं मिलती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आरोपी ने पीड़िता के साथ संबंध नहीं बनाए हैं। इस मामले में आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म का मामला बनता है। इस तरह से न्यायमूर्ति ने आरोपी की अपील को खारिज कर दिया। 

 

Created On :   7 Sept 2022 9:29 PM IST

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