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राऊत बोले - मैंने डॉक्टरों का अपमान किया ही नहीं, बयान का गलत मतलब निकाला
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राऊत ने डॉक्टरों को लेकर दिए गए बयान पर विवाद बढ़ने के बाद सफाई दी है। राऊत ने कहा कि मैंने डॉक्टरों का अपमान नहीं किया है। मेरे मन में डॉक्टरों के प्रति आदर का भाव है। डॉक्टरों का अपमान करने की मेरी भावना भी नहीं थी। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में राऊत ने कहा कि बयान को लेकर मैं डॉक्टरों से चर्चा के लिए तैयार हूं, लेकिन किसी पार्टी के कहने पर केवल विरोध जताने के लिए विरोध नहीं करना चाहिए। राऊत ने कहा कि मेरे बयान की तारीफ होनी चाहिए थी। मेरे कहने का मतलब यह था कि भारत के डॉक्टरों ने इतने मजबूत कम्पाउंडर तैयार किए हैं, जो डॉक्टर का काम करते हैं। ये तो डॉक्टरों के लिए सम्मान की बात है। राऊत ने कहा कि मैंने कम्पाउंडर की तारीफ की, तो एक विशिष्ट राजनीतिक दल के विचारों को मानने वाले डॉक्टरों को आक्रामक रूख अख्तियार करने की जरूरत नहीं है। राऊत ने कहा कि एक मुहिम चलाकर यह आभास पैदा करने की कोशिश हो रही है कि पूरा चिकित्सा क्षेत्र हमारे साथ है। जो कि उचित नहीं है। इस मुद्दे पर राजनीती बंद होनी चाहिए। राऊत का इशारा भाजपा की ओर था।
राऊत ने कहा कि मेरा बयान विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदर्भ में था। डब्ल्यूएसओ का यहां के संगठन से क्या संबंध है? राऊत ने कहा कि मेरा स्पष्ट मानना है कि डब्ल्यूएचओ एक राजनीतिक संगठन हो गया है। राऊत ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ से संबंध तोड़ लिया है। राऊत ने कहा कि मुझे किसी ने एक वीडियो क्लिप भेजी है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन जाकर डॉक्टरों का अपमान किया है। जिस पर लंदन के डॉक्टरों ने निंदा की थी, लेकिन भारत के डॉक्टरों ने कुछ नहीं कहा। इस पर राज्य के डॉक्टर संगठन के लोग क्यों नहीं बोलते हैं ? इससे पहले राऊत ने कहा था कि डॉक्टरों को क्या समझ में आता है। मैं कभी भी डॉक्टरों से दवाई नहीं लेता हूं। मैं हमेशा कम्पाउंडर से दवाई लेता हूं। राऊत के इस बयान के बाद महाराष्ट्र निवासी डॉक्टर राज्यव्यापी संगठन ने नाराजगी जताई थी। संगठन ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या आपके भी यही विचार हैं, जो बातें राऊत ने कहे हैं। संगठन ने राऊत से माफी मांगने की मांग की थी।
इसी बीच एक सवाल के जवाब में राऊत ने कहा कि यदि राज्य में मंदिर शुरू होते हैं और मंदिर में भीड़ होने के कारण कोरोना संक्रमण फैलता है, तो उसका ठीकरा सरकार पर फोड़ा जाएगा। इसलिए थोड़ा संयम बरतने की जरूरत है। मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि वे लॉकडाउन हटाने को लेकर जल्दबाजी नहीं करेंगे।
Created On :   17 Aug 2020 7:48 PM IST