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RTE कानून के तहत दाखिला न देने वाले स्कूलों की रद्द की जाएगी मान्यता

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के शैक्षणिक शुल्क की प्रतिपूर्ति के लिए सरकार ने 154 करोड़ 20 लाख रुपए उपलब्ध कराए हैं। बाकी के 148 करोड़ रुपए के लिए बजट में प्रावधान किया जाएगा। शिक्षामंत्री विनोद तावडे ने गुरूवार को विधानसभा में यह जानकारी दी। इसके साथ ही तावडे ने चेतावनी दी कि आरटीई कानून के तहत विद्यार्थियों को दाखिला न देने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
सदन का ध्यान मुद्दे पर खींचा
शिवसेना के सुनील प्रभू, विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील, राकांपा के दिलीप वलसे पाटील, अजित पवार आदि सदस्यों ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए सदन का ध्यान इस मुद्दे पर खींचा था। आरटीई कानून के तहत राज्य की गैर अनुदानित स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर गरीब विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाना अनिवार्य है। सदस्यों के सवालों के जवाब देते हुए तावडे ने बताया कि शैक्षणिक सत्र 2012-13 से लागू हुए इस कानून के तहत शैक्षणिक वर्ष 2017-18 तक दो लाख 38 हजार 337 विद्यार्थियों को प्रवेश मिला है।
आरटीई के तहत 8593 सीटें उपलब्ध
मुंबई के 334 स्कूलों में आरटीई के तहत 8593 सीटें उपलब्ध थीं। लेकिन सिर्फ 3181 विद्यार्थियों ने इस कोटे के तहत दाखिला लिया। कुछ स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला नहीं चाहते इसलिए सीटें रिक्त रह जातीं हैं। उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक स्कूल इस कानून के दायरे में नहीं आते। तावडे ने कहा कि आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों से फीस वसूली की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
सीट खाली रखने वाले स्कूलों के मान्यता होगी रद्द
इसके अलावा विद्यार्थियों को दाखिला न देकर सीट खाली रखने वाले स्कूलों के मान्यता रद्द कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया ऑनलाइन होने के चलते सरकार को इसकी जानकारी मिल जाती है। तावडे ने बताया कि स्कूलों से कहा गया है कि अगर विद्यार्थी का झूठे कागजात के आधार पर दाखिला लिया गया है तो उससे असली कागजात लेकर प्रवेश दे दें।
Created On :   1 March 2018 10:02 PM IST