- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- शहडोल
- /
- कायाकल्प मूल्यांकन - अधिकतर स्टाफ...
कायाकल्प मूल्यांकन - अधिकतर स्टाफ को बायोमेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल की जानकारी ही नहीं
सही डस्टबिन तक नहीं रखे गए, सफाई भी बदहाल
डिजिटल डेस्क शहडोल । जिला चिकित्सालय में सोमवार को कायाकल्प अवॉर्ड के लिए फाइनल असेसमेंट हुआ। मूल्यांकन के लिए जबलपुर से तीन सदस्यीय टीम शहडोल पहुंची थी। टीम ने विभिन्न वार्डों का निरीक्षण किया और कर्मचारियों से चर्चा की। टीम जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं से पूरी तरह संतुष्ट नजर नहीं आई। न तो साफ-सफाई अच्छी मिली और स्टाफ उनके सवालों का सही तरीके से जवाब दे सके। हॉस्पिटल बिल्ंिडग का मेंटेनेंस भी टीम को सही नहीं लगा।
टीम में शामिल सदस्यों ने बताया कि जिस तरह की उम्मीद शहडोल जिला चिकित्सालय से थी वैसा नहीं मिला। व्यवस्थाएं ठीकठाक ही थीं। कचरा निष्पादन के लिए अलग-अलग रंगों के डस्टबिन का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यहां सामान्य कचरे के लिए एक साल पहले इस्तेमाल होने वाले काले डस्टबिन रखे गए थे। जबकि सूखा और गीला कचरा रखने के लिए नीली और हरी डस्टबिन रखी जाती है। बायोमेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल भी ठीक नहीं है। अधिकतर स्टाफ को यह जानकारी ही नहीं कि बायोमेडिकल वेस्ट किस तरह से डिस्पोज किया जाता है। साफ-सफाई भी सही नहीं मिली। टीम के सदस्यों ने बताय कि हॉस्पिटल की बिल्ंिडग तो पुरानी है लेकिन समय-समय पर मेंटनेंस होना चाहिए। मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है।
एनआरसी में थीं दोनों टीमें
दोपहर में करीब 12.30 बजे दोनों टीमें पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) पहुंची। टीम के सदस्यों ने फायर उपकरण के बारे में जानकारी ली और इसका इस्तेमाल किस तरह की किया जाता है, यह भी देखा। इसके बाद स्टोर रूम की व्यवस्थाओं का जायजा लिया और उपस्थिति रजिस्टर का अवलोकन किया और यहां भर्ती बच्चों के परिजनों से भी बात की। डॉ. संजय मिश्रा ने एनआरसी की इंचार्ज नर्स से वर्क प्लेस को लेकर भी सवाल जवाब किए। उन्होंने पूछा कि यह स्थान क्या पर्याप्त है। नर्स का इसका कोई जवाब नहीं दे सकीं। एनआरसी में मूल्यांकन के दौरान सिविल सर्जन डॉ. जीएस परिहार भी मौजूद थे। टीम यहां से निकलने के बाद फीमेल मेडिकल वार्ड पहुंची। यहां एडमिशन रजिस्टर और दवाइयों के बारे में जानकारी ली।
मूल्यांकन के लिए जबलपुर से पहुंची थी तीन सदस्यीय टीम
जबलपुर से पहुंची टीम में डॉ. संजय मिश्रा, डॉ. नीरज निगम और निहार कुमार दीवान शामिल थे। टीम रविवार रात ही शहडोल पहुंच गई थी। सोमवार को सुबह करीब 10 बजे से असेसमेंट का काम शुरू किया गया। शुरुआत में डॉ. संजय मिश्रा ने कुछ वार्डों का निरीक्षण किया, जबकि डॉ. नीरज निगम और निहार कुमार दीवान ने अन्य वार्डों में व्यवस्थाएं देखीं। डॉ. मिश्रा सबसे पहले मेडिकल वार्ड गए। फिर आईसीयू में पहुंचे। उनके साथ जिला चिकित्सालय के मेडिकल ऑफिसर डॉ. मुुकुंद चतुर्वेदी भी थे। डॉ. संजय मिश्रा ने यहां मौजूद नर्स से हैंड वाश के बारे में पूछा और देखा भी किस तरह से हैंडवाश किया जाता है। फिर कुछ जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए।
कायाकल्प के मूल्यांकन के बिंदु
कायाकल्प के तहत जिन बिंदुओं के आधार पर हॉस्पिटल का मूल्यांकन किया जाता है। उनमें हॉस्पिटल अपकीप (इंफ्रास्ट्रक्चर), इन्फेक्शन कंट्रोल, सपोर्ट सर्विसेस, परिसर के बाहर की व्यवस्थाएं, हाईजीन प्रमोशन और बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट शामिल हैं। सभी के 100-100 नंबर होते हैं। इन्हीं 600 नंबर के आधार मार्किंग की जाती है। 70 फीसदी से अधिक अंक हासिल करने पर कायाकल्प अवॉर्ड मिलता है। अवॉर्ड के तहत तीन लाख रुपए मिलते हैं, जिसका इस्तेमाल हॉस्पिटल में व्यवस्थाओं के सुधार पर किया जाता है। जिला चिकित्सालय को इससे पहले तीन कायाकल्प अवॉर्ड मिल चुके हैं। मूल्यांकन में प्रदेश में पहले स्थान पर आने वाले हॉस्पिटल को अवार्ड के तहत 50 लाख रुपए मिलते हैं।
बदला-बदला रहा नजारा
जिला चिकित्सालय में हालांकि सोमवार को बहुत कुछ बदला हुआ भी था। ओपीडी विंडो के बाहर ही पार्क होने वाले दो पहिया वाहन सामने पार्किंग में निर्धारित स्थानों पर पार्क कराए गए थे। तीन एंबुलेंस हॉस्पिटल के ठीक बाहर एक क्रम से खड़े हुए थे। वार्डों में ड्यूटी पर मौजूद नर्स और स्टाफ निर्धारित डे्रस में था। वहीं जगह-जगह सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई थी।
तीन चरण का मूल्यांकन
कायाकल्प अवार्ड के लिए तीन चरणों का मूल्यांकन किया जाता है। सबसे पहले सेल्फ असेसमेेंट। इसमें जिला चिकित्सालय के अधिकारी स्वयं भी निर्धारित बिंदुओं और व्यवस्थाओं के आधार पर असेसमेंट करते हैं। इसके बाद पियर असेसमेंट होता है। इसमें बाहर से टीम आती है, लेकिन इस बार कोविड की वजह से पियर असेसमेंट वर्चुअली हुआ था। होशंगाबाद और सीहोर के मूल्यांकनकर्ताओं ने हॉस्पिटल का ऑनलाइन वर्चुअली मूल्यांकन किया गया। दोनों चरण पार करने के बाद अब फाइनल असेसमेंट किया गया है। टीम ने जो मूल्यांकन किया है, उसके आधार पर अपनी रिपोर्ट देगी। इसी रिपोर्ट और मार्किंग से ही तय होगा जिला चिकित्सालय को कायाकल्प अवार्ड मिलेगा या नहीं।
इनका कहना है
जिला चिकित्सालय शहडोल में जिस तरह की उम्मीद थी वैसा नहीं मिला। साफ-सफाई सामान्य थी। मैटरनिटी वार्ड में व्यवस्थाएं अन्य वार्डों से अच्छी थीं। यहां साफ-सफाई भी ठीक नजर आई। वहीं पुरानी बिल्ंिडग का मेंटेनेंस ठीक नहीं है।
डॉ. संजय मिश्रा, मूल्यांकनकर्ता
Created On :   9 Feb 2021 6:00 PM IST