एसटी कर्मचारियों की मांग को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट स्वीकार है या अस्वीकार स्पष्ट तौर से बताए

Report of the committee constituted for the demand of ST employees is to be accepted or rejected.
एसटी कर्मचारियों की मांग को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट स्वीकार है या अस्वीकार स्पष्ट तौर से बताए
हाईकोर्ट ने पूछा एसटी कर्मचारियों की मांग को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट स्वीकार है या अस्वीकार स्पष्ट तौर से बताए

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार हलफनामे में स्पष्ट तौर पर बताए कि उसने महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल(एसटी महामंडल) के कर्मचारियों की मांग को लेकर गठित तीन सदस्यी कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार किया है या अस्वीकार। वहीं दूसरी ओर एसटी महामंडल के वकील ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया है कि अगली सुनवाई तक महामंडल कर्मचारियों के खिलाफ कोई अनुशासनात्म अथवा कड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी। हाईकोर्ट में एसटी महामंडल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। 

शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे विशेष सरकारी वकील एस.नायडू ने कहा कि कर्मचारियों की मांग के सिलसिले में गठित की गई कमेटी की रिपोर्ट को दो मार्च 2022 को मंत्रिमंडल के सामने रखा जा चूंका है। इस रिपोर्ट को विधानमंडल के दोनों सदनों में भी पेश किया जा चुका है। इसके लिए संयुक्त कमेटी भी बनाई गई है। चूंकि विधानमंडल का बजट सत्र चल रहा है। इसलिए रिपोर्ट पर चर्चा नहीं हो पायी है। और परिवहन मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया है। जिसके चलते रिपोर्ट को स्वीकार अथवा अस्वीकार किए जाने को लेकर फैसला नहीं हुआ है। इसलिए उन्हें निर्देश लेने के लिए थोड़ा वक्त दिया जाए। गत चार माह से एसटी कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें राज्य सरकार के कर्मचारी के समान समझा जाए।  कर्मचारियों की मांग पर विचार करने के लिए हाईकोर्ट ने नवंबर 2021 को राज्य सरकार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौप दी है। जिस पर सरकार को फैसला लेना है। 

107 कर्मचारी कर चुके है आत्महत्या

इससे पहले कर्मचारी संगठन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सदाव्रते गुणरत्ने ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को लेकर फैसला लेने में लगातार विलंब हो रहा है। और आत्महत्या करनेवाले कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ रही है। अब तक एसटी के 107 कर्मचारी आत्महत्या कर चुके है। जबकि महामंडल की ओर से कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिलसिला जारी है। कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त व निलंबित किया जा रहा है। इसलिए महामंडल को कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से रोका जाए। 

अगली सुनवाई तक कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं

वहीं एसटी महामंडल की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता जीएस हेगड़े ने कहा कि औद्योगिक न्यायालय ने एसटी कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध माना है। हाईकोर्ट ने भी कर्मचारियों को काम पर वापस लौटने का निर्देश दिया है। इसके बावजूद कर्मचारी काम पर नहीं लौटे है। इसके चलते महामंडल नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई कर रहा है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि जब तक सरकार का इस मामले को लेकर जवाब नहीं आ जाता तब तक महामंडल थोड़े समय के लिए संयन बरते। इसके बाद महामंडल के वकील श्री हेगड़े ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई तक कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे। श्री हेगड़े के इस आश्वासन के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और याचिका पर सुनवाई 22 मार्च 2022 तक के लिए स्थगित कर दी। 

 

Created On :   11 March 2022 9:12 PM IST

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