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संस्थानों का शोध - कुंभ स्नान से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कुंभ स्नान करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने का दावा वाराणसी के भैषज वैज्ञानिक तथा प्रधान न्यासी डॉ. वाचस्पति त्रिपाठी ने शनिवार काे पत्र परिषद में किया। उन्होंने कहा कि, कुंभ स्नान के लिए डुबकी लगाने पर जल में माैजूद ज्ञात-अज्ञात सूक्ष्म जीवाणुओं का शरीर में बीजारोपण होता है। वर्ष 2013 से 2018 तक सात संस्थानों ने "कुंभ स्नान व कल्पवास के जीवनशैली का वैज्ञानिक प्रमाणीकरण" विषय पर शोध कर इसकी परिणामकारकता सिद्ध की है। सनातनी आचार-विचार, पुराणों में ऋषि-मुनियों द्वारा कुंभ स्नान कल्पवास करने वालों को अमृतपान के लाभ का उल्लेख किया गया है। अलग अलग प्रकार के संक्रमण का प्रतिरोध करने की मानव शरीर में क्षमता होती है। व्याधिक्षमता यदि बाह्य प्रेरक या जीवाणु से होती है, उसे एक्व्यार्ड इम्युनिटी कहा जाता है। जन्म के बाद शरीर में बने एंटीबॉडीज से एक्व्यार्ड इम्युनिटी होती है। इसे इम्युनोग्लोबीन कहा जाता है। यह प्रतिरक्षा विज्ञान के जैव रसायन यानी भैषजी प्रक्रिया के कारण शरीर में बनते हैं। एक्व्यार्ड इम्युनिटी किसी विशेष जीवनशैली से हो सकती है या कृत्रिम भी हो सकती है।
इन संस्थानों ने किया शोध
डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि, वर्ष 2013 में प्रयागराज में महाकुंभ के अवसर पर सात संस्थानों ने मिलकर शोधकार्य को अंजाम दिया। नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट लखनऊ, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, इलाहाबाद, सामाजिक वानकीय संस्थान, इलाहाबाद, प्रो. एस.एन. त्रिपाठी मेमोरियल फाउंडेशन, वाराणसी, इन हाउस आर एंड डी सूर्या फार्मास्यूटिकल तथा शंकर विमान मंडपम् शामिल रहा।
पहले स्नान से अंतिम स्नान के बीच लिए गए जल के नमूने और कल्पवासियों के रक्त नमूनों की जांच की गई। कल्पवासियों की किडनी, लिवर, सीबीएस, टॉयफाइड, रकतचाप व इम्युनोग्लोब्यूलिन के टेस्ट किए गए। जल के नमूनों में प्राकृतिक सूक्ष्म जीवाणु पाए गए। वहीं रक्त इम्युनोग्लोब्यूलिन बढ़ने की प्रवृत्ति देखी गई। किसी भी कल्पवासी को कोई भी प्रकार की संक्रामक बीमारी या किसी भी प्रकार की व्याधि नहीं होने का डॉ. त्रिपाठी ने दावा किया। पत्र परिषद में उषा त्रिपाठी, डॉ. गोविंदप्रसाद उपाध्याय उपस्थित थे।
कुंभ स्नान प्राकृतिक वेक्सिन
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने पर वैक्सिन लगाकर कृत्रिम रूप से शरीर में जीवाणु (Antigen) की पूर्ति की जाती है। वहीं कुंभ स्नान करने पर प्राकृतिक रूप से शरीर में जीवाणु प्रवेश करते हैं। कुंभ स्नान से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने का शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने इसे प्राकृतिक वैक्सिन की संज्ञा दी है।
765 जल और एक हजार रक्त नमूनों का परीक्षण
महाकुंभ के प्रमुख स्नान दिवस पर संगम स्थल और आस-पास से जल के 765 नमूने लेकर सूक्ष्म जीवाणु का परीक्षण िकया गया, जिसमें सलमोनेला, कॉलिफार्मस, स्यूडोमानास, फंजाई, हेट्रोजिनस जीवाणुओं का अध्ययन तथा फिजियो केमिकल टेस्ट (BOD, COD, HEAVY METAL) किए गए। इसी के साथ कुंभ स्नान करने वाले 1000 कल्पवासियों के स्वास्थ्य तथा रक्त के नमूनों का परीक्षण िकया गया।
Created On :   10 March 2019 4:24 PM IST