स्टार्टअप आइडिया को 15 लाख रुपए की मदद, इंक्यूबेशन सेंटर होगा स्थापित

Rs 15 lakh assistance to startup idea, incubation center to be set up
स्टार्टअप आइडिया को 15 लाख रुपए की मदद, इंक्यूबेशन सेंटर होगा स्थापित
स्टार्टअप आइडिया को 15 लाख रुपए की मदद, इंक्यूबेशन सेंटर होगा स्थापित

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार ने युवाओं को उद्योजकता की ओर प्रेरित करने के लिए विशेष  योजना शुरू करने की तैयारी की है। इसके तहत केंद्र सरकार ने हर  फैकल्टी के विद्यार्थी और कॉलेज को इसका लाभ लेने का मौका दिया है। इस योजना के तहत कॉलेजों को होस्ट इंस्टीट्यूट्स (एचआई) का दर्जा देकर उन्हें  इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने के लिए 1 करोड़ रुपए तक की मदद दी जाएगी। इसके अलावा विद्यार्थियों के प्रत्येक स्टार्टअप आइडिया को 15 लाख रुपए की अतिरिक्त मदद भी की जाएगी। केंद्र सरकार मई 2020 में यह योजना लांच कर सकती है। माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राईज (एमएसएमई) डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट नागपुर के संचालक पी.एम. पार्लावार  ने बताया कि, अब तक इस योजना के तहत 40 कॉलेजों ने आवेदन किया है, जिसमें 25 कॉलेज विदर्भ से हैं।  पार्लावार के अनुसार इस योजना के तहत एचआई को यह राशि लौटाने की जरूरत नहीं है, लेकिन इस इंक्यूबेशन का पंजीयन नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन के तौर पर किया जाएगा। 

एमएसएमई में एनआईटी संस्थानों की भूमिका पर हुई चर्चा
भारत में आयात और निर्यात के बीच काफी फर्क है। देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए अधिक मात्रा में निर्यात जरूरी है। इसके लिए लघु व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। इसमें राष्ट्रीय अभियांत्रिकी संस्थानों (एनआईटी) की भूमिका अहम साबित होगी। माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राईज (एमएसएमई) डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट नागपुर के संचालक पी.एम. पार्लावार ने रविवार को शहर के विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (वीएनआईटी) में आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार रखे।

वीएनआईटी और एमएसएमई नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को वीएनआईटी परिसर में "एमएसएमई में एनआईटी संस्थानों की भूमिका" विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। पार्लावार ने आगे कहा कि, हमें भारत की निर्यात क्षमता बढ़ाने पर जोर देना होगा। फिलहाल भारत बड़ी मात्रा में वस्तुएं आयात कर रहा है, इसे कम करना जरूरी है। हमारे पास प्लास्टिक बंदी लागू होने पर बाजारों मंे बड़ी मात्रा में जूट के प्लेट और चम्मच आए। इनका उत्पादन पता लगाया तो जानकारी मिली कि, इनका निर्माण चीन में होता है। ऐसे छोटी-मोटी वस्तुओं का निर्माण तो हमारे देश मंे ही होना चाहिए। इसके लिए जरूरी तकनीक को विकसित करने की जिम्मेदारी एनआईटी संस्थानों की है। यहां के इंजीनियरों को इस पर ध्यान देना चाहिए। 

इनकी रही उपस्थिति
कार्यक्रम में मंच पर त्रिवेणी टरबाइन लि. बंगलुरु के संचालक अरुण मोटे, वीएनआईटी अध्यक्ष विश्राम जामदार, वीएनआईटी के संचालक  डॉ. प्रमोद पडोले की उपस्थित थे। अरुण मोटे ने अपने संबोधन में इंजीनियरिंग क्षेत्र में रिसर्च पर जोर दिया। केंद्रीय मंत्री नितीन गड़करी ने भी अपने वीडियो संदेश के जरिए कार्यक्रम में उपस्थित व्यक्तियों को शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. पडोले ने रखी। श्री जामदार ने भी अपने विचार रखे। 

ऐसे काम करेगी योजना 
अपने यहां इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों को निर्धारित फॉर्मेट में संबंधित विभाग के पास आवेदन करना होगा। संबंधित विभाग आवेदन की पड़ताल कर नेशनल मॉनिटरिंग एंड इंप्लिमेंटिंग एजेंसी (एनएमआईयू) को सिफारिश भेजेगी। एनएमआईयू इस पर अंतिम निर्णय लेगी। प्रस्ताव मंजूर होने पर संस्थान को 1 करोड़ रुपए तक की आर्थिक मदद की जाएगी। यह मदद  इंक्यूबेशन सेंटर में जरूरी मशीनरी और उपकरण लगाने के लिए दी जाएगी। संस्थान को 50-50 लाख रुपए की दो किश्तों में निधि का भुगतान होगा। वहीं, प्रत्येक आईडिया पर अमल के लिए एचआई को 15 लाख रुपए की अतिरिक्त मदद की जाएगी।  

Created On :   30 Dec 2019 8:02 AM GMT

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