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आरटीओ लर्निंग लाइसेंस घोटाला : 7 अधिकारियों सहित 17 के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज
बिना कम्प्यूटर एक्जाम दिए मिल गए सैकडों उम्मीदवारों का लर्निंग लाइसें
आर्थिक अपराध शाखा पुलिस इस प्रकरण की जांच करेगी
सीताबर्डी थाने में मामला दर्ज
लर्निंग लाइसेंस के लिए प्राथमिक परीक्षा के समय करते थे घपलेबाजी
सारथी 4.0 प्रणाली का दुरुपयोग
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आरटीओ कार्यालय का लर्निंग लाइसेंस को लेकर बडा घोटाला सामने आया है। इस प्रकरण में आरटीओ के 7 अधिकारियों सहित 17 आरोपियों के खिलाफ सीताबर्डी थाने में धोखाधडी का मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में आरटीओ कार्यालय के आरोपी अधिकारियों, लिपिक व आरेंज इंफोकॉन प्रा. लि. कंपनी की मिलीभगत से यह घोटाला किया गया। आरटीओ ने नियमों व कार्यप्रणाली को ताक पर रखकर यह घोटाला किया है। इन घोटालेबाजों ने लर्निंग लाइसेंस देने के लिए प्राथमिक परीक्षा सारथी 4.0 नामक कार्यप्रणाली का दुरुपयोग कर सैकडों उम्मीदवारों को लर्निंग लाइसेंस जारी कर दिया। इन उम्मीदवारों ने एजेंट के मार्फत बिना कम्प्यूटर परीक्षा दिए ही लर्निंग लाइसेंस ले लिया। कुछ उम्मीदवारों की जगह पर दूसरे ही लोग बैठकर परीक्षा दी और वे पास भी हो गए। दिलचस्प पहलु यह है कि कुछ लर्निंग लाइसेंस तो रात के समय भी जारी किए जाने की जानकारी सामने आई है। इस प्रकरण को उजागर करने में सायबर सेल पुलिस विभाग की महती भूमिका रही है। आगे इस प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध शाखा पुलिस करेगी । कहा जा रहा है कि लर्निंग लाइसेंस के इस घोटाले में आरटीओ में अब तक का सबसे बडा घोटाला सामने आ सकता है।
दो साल तक चलती रही जांच
पुलिस सूत्रों के अनुसार प्रादेशिक परिवहन विभाग (आरटीओ) कार्यालय में लर्निंग लाइसेंस दिए जाने के मामले में बड़ा घोटाला सामने आया है। इस प्रकरण में आरटीओ के डिप्टी आरटीओ अधिकारी मार्तंड बंडोपंत नेवासकर ने 7 अधिकारियों, लिपिक और आरेंजसिटी इंफोकॉन प्रा लि कंपनी के अधिकारियों- कर्मचारियों सहित 17 आरोपियों के खिलाफ लर्निंग लाइसेंस में घोटालेबाजी करने का मामला दर्ज कराया है। सीताबर्डी पुलिस ने इस मामले में आरोपी अभिजीत खरे, शैलेश कोपुल्ला, विलास टेंगने, संजय पल्लेवाड, संजीवनी चोपडे, मंगेश राठोड, मिथुन डोंगरे (सभी आरटीओ के सहायक मोटरवाहन निरीक्षक है), आरटीओ की कनिष्ठ लिपिक दिपाली भोयर, तत्कालीन प्रणाली प्रशासक प्रदीप लेहगांवकर, अश्विनी सावरकर, राजेश देशमुख, आशीष भोयर, अरूण लांजेवार, उमेश धिवधोंडे, अमोल पानतावणे (यू.टी.एल कर्मचारी) , आरेंजसिटी इंन्फोकॉन प्रा. लि. के निजी इंटरनेट धारक और आरेंज इंन्फोकॉन प्रा. लि. के मालिक जेराम डिसूजा के खिलाफ धारा 419, 420, 419,420,464,465,468,471 भादंवि सहकलम 66 (सी) (डी) आय.टी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपियों ने यह कारनामा 27 जून 2017 से 30 सितंबर 2017 के दरमियान किया है। आरोपियों की करतूत के बारे में यह मामला वर्ष 2018 में उजागर हुआ। उसके बाद इस प्रकरण की जांच के लिए साइबर सेल की मदद ली गई। साइबर सेल पुलिस विभाग ने आरोपियों की करतूतों के बारे में पता लगाया। उसके बाद यह मामला सामने आ गया। इस प्रकरण की जांच अपराध शाखा पुलिस विभाग की आर्थिक सेल विंग को सौंपा गया है। इस प्रकरण में बडा घोटाला सामने आने से आरटीओ अधिकारियों और दलालों के बीच खलबली मच गई है।
कार्यप्रणाली को लेकर उठा सवाल
लर्निंग लाइसेंस के इस घोटाले ने आरटीओ अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खडा कर दिया है कि उनकी लापरवाही के चलते कोई भी उम्मीदवार किसी की जगह पर बैठकर परीक्षा दे देता था। ऐसे में अधिकारियों की सांठ- गांठ के बिना यह कार्य संभव नहीं है। इस प्रकरण की तह तक जांच होने के बाद मामला सामने आएगा।
फिलहाल हमारे पास नहीं आया है
श्वेता खेडकर उपायुक्त आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक आरटीओ में लर्निंग लाइसेंस घोटाले का प्रकरण सीताबर्डी थाने में दर्ज हो गया है। यह प्रकरण फिलहाल आर्थिक अपराध शाखा पुलिस के पास नहीं आया है। मामला आर्थिक अपराध से जुडा है तो संभवत: इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ही करेगी।
Created On :   29 Sept 2019 3:32 PM IST