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कुछ समय के लिए निलंबित किया गया था विधान परिषद सदस्यों को नोटिस देने का नियम
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है राज्य विधानपरिषद के उपसभापति के चुनाव को लेकर सदस्यों को नोटिस देने से जुड़े नियम को कुछ समय के लिए नियमों के तहत निलंबित कर दिया गया था। यह फैसला सदन के सदस्यों की मंजूरी व सभापति की सहमति से किया गया था। मंत्रालय के संसदीय कार्य विभाग के कार्यवाहक सचिव भूपेंद्र गुरव ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कोर्ट को यह जानकारी दी है। यह हलफनामा भारतीय जनता पार्टी के विधायक गोपीचंद पडलकर की ओर से दायर याचिका के जवाब में दायर किया गया है। याचिका में मांग की गई है कि उपसभापति के रुप में शिवसेना विधायक नीलम गोर्हे के चुनाव से जुडी 8 सितंबर 2020 को जारी अधिसूचना को रद्द किया जाए। याचिका में उपसभापति के चुनाव को विधानपरिषद के कामकाज से जुड़े नियमों व संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत बताया गया है।
याचिका में दावा किया गया है कि यह चुनाव मनमानीपूर्ण तरीके से किया गया है। क्योंकि चुनाव के दौरान नियमों की अनदेखी की गई है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि जब चुनाव हुआ उस समय वे कोरोना संक्रमित थे। कोरोना संक्रमित सदस्यों के सदन में प्रवेश पर रोक लगाई गई थी। इसलिए चुनाव को स्थगित करने का निवेदन भी किया गया था। किंतु उसकी अनदेखी की गई। लिहाजा वे न तो चुनाव में हिस्सा ले सके और न ही मतदान कर पाए। यह उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
मंगलवार को न्यायमूर्ति नीतिन जामदार की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान संसदीय कार्य विभाग के सचिव ने इस याचिका का विरोध किया और दावा किया कि उपसभापति के चुनाव के 48 घंटे पहले नोटिस देने से जुड़े नियम को 289 के प्रावधानों के तहत कुछ समय के लिए निलंबित किया गया था। इस दौरान विपक्ष के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया था। फिर सदन में उपलब्ध सदस्यों की संख्या के आधार पर उपसभापति का चुनाव नियमों के तहत किया गया। हलफनामे में कहा गया है कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इसलिए कोर्ट इस मामले में कोई अंतरिम आदेश न जारी करे। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अपने जवाब में कहा कि नियमों को कानून की अनदेखी कर अवैध तरीके से निलंबित किया गया है। खंडपीठ ने हलफनामे पर गौर करने के बाद मामले की सुनवाई दिवाली की छुट्टियों के बाद रखी है।
Created On :   3 Nov 2020 9:06 PM IST