सांसद आदर्श गांव को भूल गए अधिकारी: अधिकांश घरों में नहीं हैं टायलेट

sansad adarsh gram yojna: Most homes of village do not have toilet
सांसद आदर्श गांव को भूल गए अधिकारी: अधिकांश घरों में नहीं हैं टायलेट
सांसद आदर्श गांव को भूल गए अधिकारी: अधिकांश घरों में नहीं हैं टायलेट

डिजिटल डेस्क शहडोल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्राइम प्रोजेक्ट में शामिल सांसद आदर्श ग्राम योजना  सांसदों की उपेक्षा का शिकार होकर रह गई है।लोगों को जो सब्जबाग दिखाए गए थे वे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं । यहां कुल 444 घरों में से लगभग 300 घरों में आज तक टायलेट नहीं हैं । शहडोल संसदीय क्षेत्र में तत्कालीन सांसद दलपत सिंह परस्ते ने शहडोल जिले के सोहागपुर विकासखंड के ग्राम केलमनिया को आदर्श ग्राम के रूप में चयनित किया था। तब बड़े तामझाम के साथ भव्य कार्यक्रम में केलमनिया के विकास के लिए लम्बी चौड़ी घोषणाएं की गई थीं। कुछ समय तक अधिकारियों की दौड़ भी केलमनिया तक होती रही लेकिन बाद में अन्य कार्यक्रमों की तरह इस प्राइम प्रोजेक्ट को भी अधिकारियों ने भुला दिया। 1 अक्टूबर को सांसद आदर्श ग्राम योजना को तीन साल पूरे हो जाएंगे। इन तीन सालों में केलमनिया को उपलब्धि के नाम पर केवल एक हायर सेकेंड्री स्कूल भवन, दो सीसी रोड और ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवासों की सौगातें मिलीं है। गांव में जो समस्याएं तीन साल पहले थीं वे आज भी उसी रूप में मौजूद हैं। इसे केलमनिया वासियों का दुर्भाग्य कहें कि सांसद दलपत सिंह परस्ते का असमय निधन हो गया। उपचुनाव में सांसद निर्वाचित हुए ज्ञान सिंह 11 माह के कार्यकाल में एक बार भी केलमनिया के लिए समय नहीं निकाल पाए।  
यह थी प्रधानमंत्री की परिकल्पना-
11 अक्टूबर 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना लांच की थी तब उनकी परिकल्पना थी कि  सांसद आदर्श योजना की तीन अनूठी विशेषताएं होनी चाहिए। श्री मोदी का सपना था कि 2016 तक प्रत्येक सांसद एक-एक गांव को विकसित बनाएंगे और बाद में 2019 तक दो और गांवों का विकास होगा। प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगर प्रत्येक ब्लॉक में एक गांव विकसित किया जाता है तो इसका ब्लॉक के अन्य गांवों पर अनुकूल असर पड़ेगा।
सौंदर्यीकरण का सब्जबाग-
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार सांसद आदर्श ग्राम योजना के शुभारंभ पर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने जो सपने दिखाए थे वे अब तक पूरे नहीं हुए। वार्ड नंबर एक के पंच जयबीर सिंह, ग्रामीण केदारनाथ यादव, रज्जू यादव ने बताया कि केलमनिया के प्राचीन तालाब के सांैदर्यीकरण की घोषणा की गई थी। तालाब का गहरीकरण कराने, घाट निर्माण, चारों ओर पौधरोपण कराने एवं लाइट लगवाने की घोषणा की गई थी। उसके बाद किसी ने इस तालाब की सुध नहीं ली। जबकि इस तालाब में  गर्मियों में भी पानी कम नहीं होता है। लगभग 15 साल पहले बना घाट भी जीर्ण-शीर्ण होने लगा है।
नलजल योजना पर लगा ग्रहण-
सांसद आदर्श ग्राम घोषित होने के बाद पेयजल के लिए नलजल योजना का प्रस्ताव पीएचई ने तैयार किया था। इसके लिए मंदिर के समीप बोर भी कराया गया लेकिन बाद में योजना यह कहकर निरस्त कर दी बोर में पर्याप्त पानी नहीं है। केलमनिया के सहायक सचिव तूमन प्रसाद यादव ने बताया कि नलजल योजना का काम ट्यूबवेल खनन के बाद आगे नहीं बढ़ा।
दो साल उखड़ गई सड़क-केलमनिया के यादव टोला में वन विभाग ने सीसी रोड का निर्माण कराया था। यह रोड दो साल में ही खंडहर हो गई। तेजराम यादव ने बताया कि वन विभाग की चौकी से यादवटोला तक बनाई गई सड़क पूरी तरह उखड़ चुकी है। वन विभाग की चौकी भी खंडहर है और उसमें ताला लगा रहता है। अभी हाल ही में दो सीसी रोड का निर्माण ग्राम पंचायत ने कराया है। इनका भी काम अधूरा पड़ा है।
चार हैंडपम्पों में तीन बंद-
स्कूल परिसर में ती तथा अस्पताल के सामने पेयजल के लिए एक हैंडपम्प का खनन किया गया है। इनमें से स्कूल परिसर का केवल एक हैंडपम्प चालू है। अस्पताल के सामने लगा हैंडपम्प अर्से से बंद पड़ा है। इसी तरह माध्यमिक शाला भवन, आंगनवाड़ी का हैंडपम्प भी बंद है। रामखिलावन कोल, महादेवना कोल ने बताया कि गर्मियों में गांव के ज्यादातर हैंडपम्पों में पानी निकलना बंद हो जाता है। जिससे पेयजल की किल्लत होती है। तालाब के समीप के हैंडपम्प से लोग पीने के लिए पानी लाते हैं।

 

Created On :   11 Oct 2017 10:28 AM GMT

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