विश्व की अधिकांश भाषाओं का मूल है संस्कृत, रिसर्च जरूरी - भटकर

Sanskrit is the root of most languages of the world, research is essential bhatkar
विश्व की अधिकांश भाषाओं का मूल है संस्कृत, रिसर्च जरूरी - भटकर
विश्व की अधिकांश भाषाओं का मूल है संस्कृत, रिसर्च जरूरी - भटकर

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  वैश्विक भाषाओं का अध्ययन करने पर प्राच्य विद्या ही विश्व की विविध भाषाओं में विविधता का माध्यम नजर आती है। पूर्वी और पश्चिमी दो सभ्यताएं अस्तित्व में हैं। भारतीय सभ्यता ने अनेक आक्रमणों का सामना किया, लेकिन उसने अपना अस्तित्व कायम रखा। यह नियमितता और स्वयं को अपडेट करने की वृत्ति का प्रभाव है। इस संकल्पना के पीछे वसुधैव कुटुंबकम् का भाव है। पद्मभूषण वैज्ञानिक डॉ. विजय भटकर ने  अखिल भारतीय प्राच्य विद्या परिषद में बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार रखे। यह कार्यक्रम रामटेक स्थित कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया था। 

डॉ. भटकर ने  कहा कि भारतीय संस्कृति का मूल संस्कृत भाषा, वेद, उपनिषद और पुराण हैं। आगामी समय मंे भाषा का अध्ययन करके उसमें संस्कृत के कितने शब्द हैं, इसका अध्ययन हो, तो संस्कृत भाषा की संपन्नता का अहसास होगा। इससे यह सिद्ध होता है कि विश्व की सभी भाषाओं की मूल संस्कृत भाषा है। आने वाले समय में कंप्यूटर वैज्ञानिकों को संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त करना होगा, क्योंकि संस्कृत के बगैर उनके क्षेत्र में टिकना मुश्किल होगा। हमारी संस्कृति में ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ ऐसा कहा गया है। ऐसे में संस्कृत भाषा और प्राच्य विद्या स्वयं को पहचानना सिखाती हैं। 

संस्कृत एवं प्राच्य विद्या से पूरे विश्व को अपेक्षा : अर्पिता रंजन
समारोह में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, भोजपुर (बिहार)  की शोध छात्रा अर्पिता रंजन ने कहा कि संस्कृत एवं प्राच्य विद्या से पूरे विश्व को अपेक्षा है। इस विद्या को केवल आजीविका के लिए नहीं, बल्कि जीने की कला सीखने के लिए पढ़ा जाना चाहिए। यह मनुष्य को जीवन की कला सिखाती है। वर्तमान युग की समस्त समस्याओं का समाधान संस्कृत के ग्रंथों में छिपा हुआ है। जीवन मूल्यों के विकास एवं प्राचीन गौरव के संरक्षण के लिए संस्कृत को अनिवार्य रूप से पढ़ना चाहिए।

इनकी रही उपस्थिति 
कार्यक्रम में सत्यव्रत शास्त्री, आर. सी. सिन्हा, शुकदेव शर्मा, हरदत्त शर्मा, प्रो. चंद्रकांत शुक्ल, प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी, परिषद अध्यक्ष गौतम पटेल, कार्यकारी सचिव सरोजा भाटे, कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. श्रीनिवास वरखेड़ी और स्थानीय सचिव मधुसूदन पेन्ना की प्रमुख उपस्थिति थी। कार्यक्रम में प्राे. सत्यव्रत शास्त्री को प्राच्य विद्या भास्कर, गौतम पटेल को सनातन विद्या भास्कर पुरस्कार प्रदान किया गया। परिषद की सफलता में अहम योगदान देने वाले न.र.पत्तरकिने और रमेश भट का सत्कार किया गया। कार्यक्रम का संचालन यूनिवर्सिटी  की जनसंपर्क अधिकारी डॉ. रेणुका बोकारे ने किया। आभार प्रदर्शन परिषद सहसचिव डॉ. हरेकृष्ण अगस्ती ने किया।  

 

Created On :   13 Jan 2020 7:55 AM GMT

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