मराठी न पढ़ाने पर एक लाख का जुर्माना आराम से भर देंगे स्कूल - फडणवीस

Schools will pay fine of one lakh comfortably for not teaching Marathi - Fadnavis
मराठी न पढ़ाने पर एक लाख का जुर्माना आराम से भर देंगे स्कूल - फडणवीस
मराठी न पढ़ाने पर एक लाख का जुर्माना आराम से भर देंगे स्कूल - फडणवीस

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कुछ स्कूल सभी बोर्डों में मराठी भाषा की पढ़ाई को लेकर बने कानून में अपवादों का लाभ उठाएंगे और अपवाद ही नियम हो जाएंगे। इसके अलावा सरकार ने स्कूलों पर सिर्फ 1 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया है। मुंबई के कई निजी स्कूल विद्यार्थियों से 5 से 10 लाख रुपए फीस वसूलते हैं। ऐसे में उनके लिए एक लाख रुपए कोई मायने नहीं रखता वे हर साल यह रकम भर देंगे। राज्य के सभी बोर्ड के स्कूलों में मराठी भाषा की अनिवार्यता के विधेयक को समर्थन देते हुए विधानसभा मे विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने यह बात कही। विधान परिषद के बाद गुरूवार को विधानसभा ने भी एकमत से इस विधेयक को मंजूरी दे दी।

शिक्षामंत्री की भी नहीं सुनते स्कूल

फडणवीस ने कहा कि कई स्कूल ऐसे हैं जो किसी की नहीं सुनते। अगर कोई शिक्षामंत्री की भी सिफारिश लेकर जाए तो उसे बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। ऐसे मनमाने तरीके से स्कूल चलाने वाले अपवादों का दुरुपयोग करेंगे। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह मराठी पढ़ाने की सख्ती बरकरार रखे और जरूरत के मुताबिक दूसरी छूट दे। इसके अलावा दोबारा नियम तोड़ने वालों के लिए विधेयक में कोई प्रावधान नहीं है। हम ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द नहीं कर सकते क्योंकि ऐसा कोई कानून नहीं है और इसी को मुद्दा बनाकर अदालत में चुनौती दे दी जाएगी। यह कानून बन कर भी बेअसर हो जाएगा। मराठी भाषा मंत्री सुभाष देसाई ने विधानसभा में यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि विधान परिषद की ही तरह विधानसभा में भी एकमत से विधेयक पास होने पर अच्छा संदेश जाएगा। अपवादों पर सफाई देते हुए देसाई ने कहा कि कई बार विद्यार्थी दूसरे राज्यों के पढ़ाई के लिए मुंबई आते हैं ऐसे में शुरूआत से मराठी भाषा की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के मुकाबले उन्हें थोड़ी राहत देनी होगी। लेकिन नियम ऐसे बनाए जाएंगे कि स्कूल अपवादों का दुरुपयोग न कर पाएं। 

अभिजात भाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव मंजूर

मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा देने से जुड़ा प्रस्ताव विधानमंडल के दोनों सदनों में एकमत से मंजूर किया गया। यह प्रस्ताव एक बार फिर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। इससे पहले भी केंद्र को ऐसा प्रस्ताव भेजा जा चुका है। केंद्र सरकार डेढ़ से ढाई हजार साल पुरानी ऐसी भाषाओं जिनका साहित्य अच्छा हो उन्हें अभिजात भाषा का दर्जा देती है। इससे जुड़े कई और नियम है। फिलहाल संस्कृत, तमिल, तेलगू, कन्नड, मलयालम और ओडिया भाषाओं का अभिजात भाषा का दर्जा मिला हुआ है। 

12 वीं कक्षा तक मराठी अनिवार्यता के विषय को लेकर लंबे समय से की जाती रही है मांग

राज्य सरकार ने 10 वीं कक्षा तक पढ़ाई में मराठी भाषा अनिवार्यता का निर्णय लिया है। इस निर्णय को लेकर मराठी भाषा साहित्य व शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने सरकार का आभार माना है। साथ ही मराठी भाषा को और अधिक प्रोत्साहन देने की भी मांग की है। खास बात यह है कि 12 वीं कक्षा में मराठी अनिवार्यता के विषय को लेकर लंबे समय से मांग की जाती रही है। शिवसेना, कांग्रेस व राकांपा से इस मामले में चुनाव के समय वचन भी लिया गया है। लिहाजा कहा जा रहा है कि सरकार में रहते इन दलों ने मराठी से संबंधित विविध मांगों को पहली प्राथमिकता के साथ पूरा करना चाहिए। मराठी साहित्य से जुड़े जानकारों के अनुसार 2018 में गुजरात के बड़ौदा में 91 वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन हुआ था। उस सम्मेलन में निर्णय लिया गया था कि देश भर में संबंधित राज्यों की भाषा को 12 वीं तक सख्ती से लागू कराने के लिए आंदोलन किया जायेगा। 12 वीं तक मराठी के संबंध में सम्मेलन  में प्रस्ताव भी पास किया गया था। उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री,मराठी भाषा व शिक्षा मंत्री, सचिव, अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल की ओर से निवेदन देकर व चर्चा करके विविध मांग की गई थी। मराठी भाषा विकास प्राधिकरण के गठन के बारे में राज्य सरकार की ओर से आश्वासन मिला था। दक्षिण के राज्यों में स्थानीय भाषा के संबंध में कानून की प्रतियां भी राज्य के मंत्रियों को दी गई थी। महाराष्ट्र सांस्कृतिक आघाड़ी ने इस मामले को चुनावी बहस का मुद्दा भी बनाया था। मतदाताओं से आव्हान किया गया था कि वे मराठी भाषा अनिवार्यता के संबंध में जनप्रतिनिधि, उम्मीदवार व राजनीतिक दल से आश्वासन लें। महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व संबंधित मंत्रियों को इन मांगों का स्मरण कराया गया। अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल के पूर्व अध्यक्ष श्रीपाद जोशी ने कहा है कि मराठी भाषा विकास प्राधिकरण का गठन होना भी बाकी है।

Created On :   27 Feb 2020 3:30 PM GMT

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