सरकारी वकील मिरजकर को मिले एक और मौका - सत्र न्यायालय का सुझाव

Session court suggest to give another chance to Advocate Mirajkar
सरकारी वकील मिरजकर को मिले एक और मौका - सत्र न्यायालय का सुझाव
सरकारी वकील मिरजकर को मिले एक और मौका - सत्र न्यायालय का सुझाव

डिजिटल डेस्क, मुंबई। चर्चित ख्वाजा यूनुस पुलिस हिरासत में मौत मामले से जुड़े मुकदमे की पैरवी कर रहे विशेष सरकारी वकील धीरज मिरजकर की नियुक्ति को रद्द करने के निर्णय को राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट में न्यायसंगत ठहराया है। युनूस को 2002 के घाटकोपर बम धमाके के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने हाईकोर्ट में स्पष्ट किया है कि अधिवक्ता मिरजकर की नियुक्ति को रद्द करके पुलिसकर्मियों को बचाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। मिरजकर की नियुक्ति रद्द किए जाने के निर्णय के खिलाफ यूनुस की मां आसिया बेगम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर जस्टिस आरएम सावंत व जस्टिस रेवती मोहिते ढेरे की बेंच के सामने सुनवाई चल रही है।

इस दौरान श्री कुंभकोणी ने कहा कि मिरजकर ने मामले से जुड़े मुकदमे की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के मत के विपरीत निचली अदालत में आवेदन दायर किया था। इस आवेदन में चार पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाने की मांग की गई थी। जबकि सरकार ने इन चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इंकार कर दिया था।

सरकार की ओर से मंजूरी न देने के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। लेकिन इससे जुड़ी याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रलंबित है। ऐसी परिस्थिति में सरकारी वकील मिरजकर से अपेक्षित नहीं था कि वे पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाने के लिए आवेदन करे।

मिरजकर ने प्रकरण से जुड़े एक गवाह के बयान के आधार पर पूर्व पुलिस अधिकारी प्रफुल्ल भोसले सहित अन्य तीन पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाने को लेकर आवेदन किया था। इसके बाद अप्रैल 2018 में मिरजकर की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था। इन दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि सरकार इस विवाद का निपटारा करे और संभव हो तो मिरजकर एक और अवसर देने पर विचार करे। बशर्ते वे अपना आवेदन वापस लेने को तैयार हो। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 9 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी है। 

Created On :   28 July 2018 5:51 PM IST

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