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शहडोल की बांधवी ने नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में जीते चार गोल्ड
डिजिटल डेस्क शहडोल । भोपाल में खेली जा रही 63वीं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में शहर की बेटी बांधवी सिंह ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने 50 मीटर राइफल प्रोन वीमन (.22 राइफल) में इंडीविजुअल के चारों कैटेगरी सीनियर, जूनियर, सीनियर सिविलियन, जूनियन सिविलियन में गोल्ड मेडल जीता है। बांधवी ने देश को ओलंपिक कोटा दिलाने वाली अंजुम मुदगिल को सीनियर कैटेगरी में हराया है। यह कारनामा करने वाले वाली वह प्रदेश की पहली शूटर बन गई हैं। बांधवी सोहागपुर गढ़ी निवासी यशवर्धन सिंह की एकलौती पुत्री हैं। भास्कर से चर्चा में उन्होंने बताया कि दो साल पहले ही 50 मीटर की .22 राइफल थामी है। इससे पहले वह 10 मीटर में पीप साइट पर शूट करती थीं। बांधवी ने इंदौर के डेली कॉलेज से स्कूलिंग की है। इंदौर से ही उन्होंने शूटिंग की शुरुआत की थी। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में बीए ऑनर्स द्वितीय वर्ष की छात्रा बांधवी ने बताया कि उनका सपना ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना है।
नेशनल चैंपियनशिप में 6 मेडल जीते
बांधवी रविवार को दिनभर प्रैक्टिस में जुटी रहीं। सोमवार को भी उनका मुकाबला है। बांधवी ने भोपाल में नेशनल चैंपियनशिप में अब तक कुल 6 मेडल जीते हैं। इंडीविजुअल कैटेगरी में चार गोल्ड के साथ-साथ 10 मीटर एयर राइफल में भी उनको दो टीम मेडल प्राप्त हुए हैं। वह मप्र की इकलौती शूटर हैं जिन्हें चैंपियनशिप में मेडल मिले हैं। उनको इंडियन टीम में सीधा प्रवेश भी मिल गया है। वे खेलो इंडिया में शामिल होने गुवाहाटी जाएंगी।
शूटिंग अकेडमी ज्वाइन करने की इच्छा
बांधवी ने शूटिंग की कोई प्रोफेशनल टे्रनिंग नहीं ली है। वह कॉलेज में ही शूटिंग की प्रैक्टिस करती हैं, लेकिन उनकी इच्छा अब शूटिंग एकेडमी ज्वाइन करने की है। मध्य प्रदेश सहित कुछ एकेडमी से उनको ऑफर भी मिला है। उन्होंने कहा, वह पढ़ाई बीच में छोडऩा नहीं चाहती हैं, इसलिए उनका फोकस पढ़ाई के साथ-साथ शूटिंग पर है। बांधवी को शूटिंग विरासत में मिली है। उनके पिता यशवर्धन सिंह भी अपने समय के अच्छे शूटर रहे हैं। 1985 में कोल्हापुर में नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप खेल चुके हैं। उन्होंने इंदौर के डेली कॉलेज से ही पढ़ाई की है। कॉलेज में शूटिंग के कैप्टन रह चुके हैं। उनकी अगुवाई में ही मप्र की टीम ने नेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था।
चैंपियन की चाह
संभाग में भी होना चाहिए शूटिंग रेंज
बांधवी का कहना है कि हमारे जिले में टैलेंट की कमी नहीं है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में यह दबकर रह जाता है। क्रिकेट सहित अन्य खेलों के लिए तो कोचिंग आदि मिलने लगी है, लेकिन शहडोल सहित पूरे संभाग में शूटिंग के क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अगर संभाग में कहीं भी एक छोटा सा शूटिंग रेंज भी बन जाए तो यहां के बच्चों के लिए बड़ी सुविधा मिल जाएगी। शासन-प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए।
Created On :   23 Dec 2019 2:19 PM IST