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देवेंद्र फडणवीस का खुलासा - भाजपा के साथ सरकार बनाना चाहते थे शरद पवार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा चुनाव बाद राकांपा की भूमिका को लेकर बड़ा खुलासा किया है। फडणवीस ने कहा कि शिवसेना के साथ नहीं आने के बाद भाजपा को सरकार बनाने के लिए सीधे राकांपा प्रमुख शरद पवार से ऑफर मिला था, लेकिन बाद में पवार ने अपनी भूमिका बदल ली। उन्होंने कहा कि पवार का भूमिका बदलना राकांपा के वरिष्ठ नेता तथा वर्तमान उपमुख्यमंत्री अजित पवार को मंजूर नहीं था। इसलिए अजित सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ आए। अजित के साथ मिलकर सरकार बनाने के शिल्पकार भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह थे। फडणवीस ने यह भी खुलासा किया कि दो साल पहले भाजपा और राकांपा साथ आने वाली थी। लेकिन राकांपा उस गठबंधन में शिवसेना को नहीं चाहती थी इसलिए बात नहीं बन पाई।
कहाः अजित को रास नहीं आया था पवार का पाला बदलना
मंगलवार को एक साक्षात्कार में फडणवीस ने कहा कि जब हमें समझ में आ गया कि शिवसेना सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ नहीं आएगी। तब भाजपा ने विकल्पों पर विचार शुरू कर दिया। एक विकल्प में सीधे राकांपा से सरकार बनाने एक लिए ऑफर था। इस बारे में उचित चर्चा भी हुई थी। लेकिन बाद में राकांपा प्रमुख ने अपनी भूमिका बदल ली। इससे भाजपा किनारे हो गई। इसके बाद हम लोग दो-तीन दिन चुप बैठ थे। हमने सोच लिया था कि अब हम सरकार नहीं बना पाएंगे। फिर तीन-चार दिन बाद अजित से चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि मुझे पवार साहब की भूमिका मान्य नहीं है। राज्य में स्थिर सरकार भाजपा और राकांपा ही दे सकती है। यदि अब पवार साहब अपनी बात बदल रहे हैं तो शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की तीन दलों की सरकार नहीं चल पाएगी। प्रदेश का नुकसान होगा। इसलिए मैं आपके साथ सरकार बनाने के लिए तैयार हूं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिगाड़ा काम
फडणवीस ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भाजपा के खिलाफ नहीं गया होता, तो अजित के साथ मिलकर बनाई गई सरकार शत प्रतिशत टिकी होती। फडणवीस ने कहा कि आज जब मैं पीछे मुडकर देखता हूं तो लगता है कि अजित पवार के साथ सरकार बनाने का फैसला गलती थी। यदि सरकार नहीं बनाता तो भी चल जाता। लेकिन उस समय ऐसा नहीं लगा था।
दो साल पहले भाजपा के साथ आने तो तैयार थी राकांपा
फडणवीस ने कहा कि दो साल पहले एक स्थिति ऐसी आई थी कि राकांपा और भाजपा एक साथ आने वाली थी। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यदि राकांपा से गठबंधन करना है तो शिवसेना को भी साथ लेना पड़ेगा। शिवसेना के बिना यह गठबंधन नहीं करना है। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह संदेश शाह ने पवार को बताया। शाह ने पवार से कहा कि कांग्रेस को अलग-थलग करना है तो हमें शिवसेना को भी साथ लेना पड़ेगा। शिवसेना के बिना भाजपा और राकांपा के बीच गठबंधन नहीं हो सकता। राकांपा पूरी तरह से भाजपा के साथ आने के लिए तैयार थी।
उद्धव ने मांगा था सीएम पद पर शाह ने साफ मना कर दिया
फडणवीस ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को लेकर उद्धव के साथ चर्चा चल रही थी। इस दौरान हुई एक बैठक में उद्धव ने पालघर की सीट शिवसेना के लिए मांगी। इसी बैठक में उद्धव ने मुझसे कहा कि शिवसेना को विधानसभा चुनाव में 50 प्रतिशत सीटें दी जा रही है, यह अच्छी बात है लेकिन शिवसेना को मुख्यमंत्री पद भी चाहिए। उद्धव ने कहा कि मैंने दो दिन पहले शाह से फोन पर बात की थी। तब मैंने उनसे मुख्यमंत्री पद देने की बात कही थी। फडणवीस ने बताया कि उद्धव की इस बात के बाद मैंने रात को 2 बजे शाह को फोन किया। मैंने शाह से कहा कि उद्धव कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद को लेकर आपसे बात हुई है। इस पर शाह ने कहा कि उद्धव ने मुझसे कहा था। लेकिन मैंने उनसे साफ कह दिया था कि भाजपा के लिए यह संभव नहीं होगा। मैंने उद्धव को मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई वचन नहीं दिया है। अगर मुख्यमंत्री पद को लेकर युति टूट रही तो तोड़ दीजिए। क्योंकि शिवसेना की मांग हमें मान्य नहीं है। इसके बाद हुई बैठक में पालघर सीट देने पर सहमति बनी। इसका मतलब साफ था कि शिवसेना को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया जाएगा। फडणवीस ने कहा कि इसके बाद भी मैंने शाह से पूछा था तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैंने मुख्यमंत्री पद का विषय पहले ही बंद कर दिया था क्योंकि यह भाजपा के लिए संभव नहीं था। फडणवीस ने कहा कि मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि उद्धव कैसे मानकर बैठ गए कि भाजपा ने शिवसेना को मुख्यमंत्री पद देने का वचन दिया था। फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई रास्ता निकल सकता था लेकिन उद्धव ने मुझसे बातचीत करना टाल दिया था।
बात बंद करने से हुआ दुख
फडणवीस ने कहा कि मुझे राज्य की सत्ता जाने का दुख नहीं है लेकिन मुझे आज भी इस बात का प्रंचड दुख है कि उद्धव ने मुझसे फोन पर बात करने से इंकार कर दिया। फडणवीस ने कहा कि मैं वर्तमान मुख्यमंत्री था। मैंने उन्हें चार बार फोन किया लेकिन वह फोन पर नहीं आए। फडणवीस ने कहा कि साल 2014 के विधानसभा चुनाव में किसी को नहीं पता था कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा। लेकिन मैं मुख्यमंत्री बना। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में सभी लोगों को पता था कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा पर मैं मुख्यमंत्री नहीं बन पाया। फडणवीस ने कहा कि यदि उद्धव मुझसे चर्चा करते तो हर मुद्दे पर हल निकल सकता था। अभी वह शिवसेना के विचारों के विरूद्ध जाकर सरकार चला रहे हैं।
सरकार बनने, बिगड़ने पर लिखेंगे किताब
फडणवीस ने कहा कि आज मेरी इतनी क्षमता नहीं है कि मैं प्रधानमंत्री बनने का सपना देखूं। कभी न कभी तो मुझे राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभानी पड़ेगी। लेकिन मुझे अपनी क्षमता और सीमा मालूम है। इसलिए मैं ऐसा सपना नहीं देखता हूं। फडणवीस ने कहा कि मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे की परप्रांतियों को लेकर भूमिका भाजपा को भाजपा को मान्य नहीं है। इसके अलावा मनसे को लेकर भाजपा को कोई आपत्ति नहीं है। फडणवीस ने कहा कि अजित के साथ सरकार बनाने की घटना पर कई लोग किताबें लिख रहे हैं, लेकिन सच्ची किताब मैं लिखूंगा। यह किताब कब लिखनी है। यह मैंने तय किया है। लेकिन जल्दी नहीं लिखूंगा।
Created On :   23 Jun 2020 7:37 PM IST