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कोरोना मरीज की जानकारी साझा करना निजता का उलंघन नहीं, नागपुर के 2 अधिकारियों को मानवाधिकार आयोग से राहत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने कोरोना मरीज की जानकारी साझा करने को निजता व मौलिक अधिकार का हनन मानने से इंकार कर दिया है। यहीं नहीं आयोग ने इस मामले में नागपुर महानगरपालिका के सहायक आयुक्त स्तर के दो अधिकारियों को राहत भी दी है और इस विषय को लेकर दायर शिकायत को भी खारिज कर दिया है। यह शिकायत नागपुर निवासी व वायु सेना के पूर्व सैनिक संदेश सिंगलकर ने दायर की थी। शिकायत में उन्होंने दावा किया था कि उनके कोरोना संक्रमित होने की जानकारी लोक कल्याण समिति को दी गई। यह निजता के अधिकार व मानवाधिकार व संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन है। इसलिए नागपुर महानगरपालिका के सहायक आयुक्त राम जोशी व प्रकाश वारखाडे व राष्ट्रीय स्वमसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य सुमधुर गोखले के खिलाफ जांच का निर्देश दिया जाए। गोखले ने शिकायतकर्ता के कोरोना से स्वस्थ्य होने के बाद उनका हालचाल जानने के लिए फोन किया था। शिकायतकर्ता ने एक रुपए के मुआवजे व 25 हजार रुपए मुकदमे के खर्च के रुप में भी देने का निर्देश देने का निवेदन किया था।
कोरोना से ठीक हुए शख्स को आरएसएस कार्यकर्ता ने किया था फोन
आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष एमए सैयद के सामने इस शिकायत पर सुनवाई हुई। इस दौरान नागपुर महानगरपालिका की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अमोघ सिंह ने कहा कि निजता का अधिकार अपने आप में पूर्ण अधिकार नहीं है। यह तर्कसंगत पाबंदियों के अधीन है। उन्होंने कहा कि कोरोना को नियंत्रित करने के लिए नागपुर मनपा ने कई सामाजिक योजनाएं व प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। जिससे जनजागरुकता फैलाई जा सके और कोरोना से ठीक हुए मरीजों का रिकार्ड रखा जा सके। इसके लिए कई प्रतिष्ठित गैर सरकारी संस्थाओ की मदद ली गई थी। जहां तक इस बारे में आरएसएस की मदद लेनी की बात है तो इसको 14 अगस्त 2020 को मनपा ने प्रस्ताव पारित कर मंजूरी प्रदान की थी। वैसे तो कोरोना के दौरान घोषित लाकडाउन से अन्य कई अधिकारों का उल्लंघन हुआ है पर कोरोना काल में इसे तर्कसंगत निर्बंध माना गया है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी प्रकार की मिलिभगत का कोई प्रश्न ही नहीं पैदा होता है। सिंह ने दावा किया कि शिकायतकर्ता खुद एक राजनीतिक दल से जुड़े हैं। जो नागपुर महानगरपालिका में विपक्षी पार्टी है। शिकायत में उन्होंने इसका जिक्र तक नहीं किया गया है। इसलिए शिकायतकर्ता की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आती है। इन दलीलों को सुनने व मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद आयोग ने शिकायत को खारिज कर दिया। इसके साथ ही उस दावे को भी अस्वीकार कर दिया जिसमें कोरोना मरीज की जानकारी साझा करने को मौलिक व निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया गया था। आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना पर नियंत्रण के लिए नागपुर मनपा ने कानूनी दायरे में रहकर कदम उठाए हैं।
Created On :   20 Nov 2020 8:07 PM IST