शिंदे ने विपक्ष को कथित रूप से देशद्रोही कहने वाले बयान पर दिया स्पष्टीकरण

Shinde clarified on the statement allegedly calling the opposition anti-national
शिंदे ने विपक्ष को कथित रूप से देशद्रोही कहने वाले बयान पर दिया स्पष्टीकरण
विधानमंडल शिंदे ने विपक्ष को कथित रूप से देशद्रोही कहने वाले बयान पर दिया स्पष्टीकरण

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधान परिषद में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विपक्ष को कथित रूप से देशद्रोही कहने वाले बयान पर स्पष्टीकरण दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार, विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे और विपक्ष के विधायकों को देशद्रोही नहीं कहा था। मैंने केवल राकांपा के विधायक तथा पूर्व मंत्री नवाब मलिक को देशद्रोही कहा था। क्योंकि मलिक ने देशद्रोही दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर को जमीन सौदे के लिए 15 लाख रुपए का चेक दिया था। दरअसल, विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने मुख्यमंत्री के खिलाफ देशद्रोही वाले बयान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया था। इसके मद्देनजर उपसभापति नीलम गोर्हे की अनुमति से मुख्यमंत्री ने सदन में देशद्रोही वाले बयान पर स्पष्टीकरण दिया। इसके बाद उपसभापति ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री के खिलाफ दाखिल विशेषाधिकार हनन के नोटिस को स्वीकार नहीं किया है। मैं मुख्यमंत्री के मामले को विधान परिषद की विशेषाधिकार हनन समिति गठित के पास भेजने के बारे में अध्ययन करके फैसला लूंगी। अभी विशेषाधिकार हनन समिति गठित भी नहीं हुई है।इसके पहले मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्थापित हो चुका है कि मलिक ने देशद्रोही के साथ जमीन का सौदा किया है। इसलिए मैं फिर कहता हूं कि मलिक देशद्रोही हैं। यदि देशद्रोही के खिलाफ बोलना अपराध है तो मैं यह अपराध एक नहीं 50 बार बार करूंगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मलिक ने कुर्ला के गोवावाला कंपाऊंड की जमीन हसीना से 55 लाख रुपए में खरीदा था। जिसमें उन्होंने 40 लाख रुपए नकद दिया था जबकि 15 लाख रुपए का चेक दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि मलिक जेल में हैं। मलिक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग सहित आतंकी अन्य गंभीर मामले दर्ज हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के नेता अजित ने सरकार को महाराष्ट्र द्रोही कहा था। इसलिए बीते रविवार को मैंने कहा था कि अच्छा हुआ देशद्रोही के साथी के साथ चाय पीने की नौबत नहीं आई। इस दौरान राकांपा के सदस्य एकनाथ खडसे ने मुख्यमंत्री से कहा कि महाविकास आघाड़ी सरकार में  आप भी मलिक के साथ राज्य के नगर विकास मंत्री थे। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को मलिक का इस्तीफा लेने के लिए कहा था। लेकिन वे इच्छा होने के बावजूद वे मलिक का इस्तीफा नहीं ले पाए थे।  

उपसभापति और परब आमने-सामने

विशेषाधिकार हनन की नोटिस पर मुख्यमंत्री को सदन में स्पष्टीकरण की अनुमति को लेकर उपसभापति नीलम गोर्हे और शिवसेना (उद्धव गुट) के सदस्य अनिल परब आमने-सामने आ गए। परब के आक्रामक तेवर को देखते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नियमों का हवाला देते हुए उपसभापति का बचाव किया। वहीं परब ने कहा कि नियमों के अनुसार मुख्यमंत्री अपने बयान को लेकर विधान परिषद की विशेषाधिकार हनन समिति के अध्यक्ष के सामने स्पष्टीकरण देना होगा। मुख्यमंत्री सदन में स्पष्टीकरण नहीं दे सकते हैं। उपसभापति को बताना चाहिए कि वो किस नियम के तहत मुख्यमंत्री को सदन में सफाई देने की अनुमति दे रही हैं। इस पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल विधान परिषद की विशेषाधिकार हनन समिति का गठन नहीं हुआ है। इसलिए अभी विशेषाधिकार हनन समिति का पूरा अधिकार उपसभापति के पास है। विपक्ष को उपसभापति के अधिकार पर अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। जिसके बाद उपसभापति ने कहा कि मैंने भी नियमों के अनुसार अनुमति दी है। इस बीच राकांपा के सदस्य शशिकांत शिंदे ने कहा कि राज्य में जब देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की सरकार बनी थी। उस समय राकांपा के टूटे विधायकों को वापस लाने के लिए मेरे साथ एकनाथ शिंदे ही थे। उस समय एकनाथ को लगा कि वह ही मुख्यमंत्री बनेंगे। इसलिए उन्होंने राकांपा के टूटे विधायकों को वापस लाने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी।
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Created On :   2 March 2023 4:22 PM GMT

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