औरंगाबाद पर शिवसेना-कांग्रेस में बढ़ी तल्खी, राऊत के सवाल पर थोरात की नसीहत

Shiv Sena-Congress angry over on Aurangabad name issue
औरंगाबाद पर शिवसेना-कांग्रेस में बढ़ी तल्खी, राऊत के सवाल पर थोरात की नसीहत
औरंगाबाद पर शिवसेना-कांग्रेस में बढ़ी तल्खी, राऊत के सवाल पर थोरात की नसीहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर रखने को लेकर प्रदेश में सत्ताधारी शिवसेना और कांग्रेस के बीच की तल्खी और बढ़ गई है। जबकि विपक्षी भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर शिवसेना पर कटाक्ष किया है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यह कहना नहीं भूले की इस मसले से राज्य सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं होगा।

रविवार को शिवसेना सांसद संजय राऊत ने औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। राऊत ने पार्टी के मुखपत्र "सामना" के अपने साप्ताहिक स्तंभ में पूछा कि मुगल शासक औरंगजेब किसके प्रिय है? उन्होंने कहा कि औरंगजेब सेक्युलर बिल्कुल नहीं था। इस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथा राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात ने शिवसेना पर पलटवार करते हुए सवाल किया कि नामांतरण की राजनीति किसको प्रिय है? थोरात ने शिवसेना और भाजपा को ढोंगी करार बताते हुए कहा कि कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना को अपने वोटों की चिंता हो रही है। इसलिए शिवसेना ने नामांतरण का सामना शुरू किया है। थोरात ने कहा कि कोई इस भ्रम में न रहे कि नामांतरण के मुद्दे पर राज्य सरकार अस्थिर होगी। तीनों दलों ने अत्यंत विचार पूर्वक महाराष्ट्र की जनता के लिए सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर बनाया है।

थोरात ने कहा कि पिछली सरकार में पांच सालों तक सत्ता में रहने वाले दल ढोंग कर रहे हैं। ढोंग करना भाजपा की स्वभाविक विशेषता है। इसलिए भाजपा नेताओं के बर्ताव को जनता मनोरंजन के नजरिए से देख रही है। थोरात ने कहा कि कांग्रेस की ओर से औरंगाबाद के नाम बदलने को लेकर विरोध जताने के बाद सलाह देने वालों की संख्या बढ़ गई है। लेकिन पांच साल तक एक-दूसरे के साथ सत्ता में रहने वाले लोग राजनीति कर रहे हैं। केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर सत्ता में होने के बाद भी नामांतरण का मुद्दा याद नहीं आया था।

थोरात ने कहा कि पिछले कई सालों से औरंगाबाद मनपा में सत्ता पर काबिज शिवसेना और भाजपा को विकास के मुद्दे पर बोलना चाहिए। औरंगाबादवासियों की भी यही अपेक्षा है लेकिन दोनों दलों ने जनता को निराश किया है। इसलिए मनपा चुनाव को देखते हुए नामांतरण के मुद्दे का सहारा लेना पड़ रहा है। दोनों दल नामांतरण के मुद्दे को उछालकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। थोरात ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के नाम का इस्तेमाल करने वालो को हमें संभाजी महाराज के बारे में समझाने की आवश्यकता नहीं है।    

शिवसेना के लिए संभाजीनगर था और रहेगा- राऊत

वहीं पत्रकारों से बातचीत में शिवसेना सांसद राऊत ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने साफ कह दिया है कि शिवसेना के लिए औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर था और रहेगा। इसलिए इस पर किसी के विरोध का सवाल ही नहीं उठता। राऊत ने कहा कि मुझे मालूम नहीं है कि कांग्रेस नाम बदलने को लेकर विरोध क्यों कर रही है। मेरे हिसाब से यह मुद्दा खत्म हो चुका है। इस पर चर्चा हो सकती है लेकिन फैसला हो चुका है। मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर अपनी भूमिका स्पष्ट कर चुके हैं। यह हमारी भावना का मुद्दा है। राऊत ने कहा कि औरंगजेब क्रूर शासक था। उससे दूसरे धर्मों से जरा भी प्रेम नहीं था। उसने अपने शासनकाल में हिंदुओं पर अन्याय किया था? ऐसे शासक के नाम पर किसी शहर के नाम को लेकर देश में किसी को आग्रह नहीं करना चाहिए। राऊत ने कहा कि मैं चाहता हूं कि राज्य में शासन चलाने वाले लोग संभाजी महाराज से ही प्रेम दर्शाए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह हिंदु और मुस्लिम वोट बैंक का सवाल नहीं है बल्कि महाराष्ट्र और देश की अस्मिता का विषय है।

लाचारसेना बन गई शिवसेना-शेलार 

दूसरी ओर भाजपा विधायक आशीष शेलार ने कहा कि शिवसेना सत्ता के लिए लाचार सेना बन गई है। शिवसेना सत्ता के लिए कांग्रेस के आगे दडंवत और नतमस्तक हो गई है। शेलार ने कहा कि शिवसेना के लिए जब अहंकार का मुद्दा होता है तो पार्टी के लोग कहते हैं कि उखाड़ देंगे। लेकिन जब प्रदेश की अस्मिता और संभाजी महाराज का नाम देने का मुद्दा आया है तो शिवसेना दडंवत हो गई है। उन्होंने कहा कि शिवसेना जब भाजपा के साथ में थी तब उसके मंत्री अपना इस्तीफा जेब में लेकर घुमते थे आज शिवसेना के मंत्रियों का इस्तीफा कहा है? 
 

Created On :   17 Jan 2021 12:49 PM GMT

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