तो सरकार के खिलाफ करेंगे अवमानना की कार्यवाही, दो जिलों में नागरी सुरक्षा केंद्र न बनने से नाराजगी 

So we will take contempt proceedings against the government
तो सरकार के खिलाफ करेंगे अवमानना की कार्यवाही, दो जिलों में नागरी सुरक्षा केंद्र न बनने से नाराजगी 
हाईकोर्ट तो सरकार के खिलाफ करेंगे अवमानना की कार्यवाही, दो जिलों में नागरी सुरक्षा केंद्र न बनने से नाराजगी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने नागरी सुरक्षा से जुड़े केंद्रों को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ एकीकृत करने के प्रस्ताव पर निर्णय न लेने और राज्य के दो जिलों में अभी तक नागरी सुरक्षा केंद्र न बनाए जाने पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि यदि 4 जुलाई तक इस प्रस्ताव के बारे में फैसला नहीं किया गया तो वह सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करेंगी। 

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी शरद राऊल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिए दिए गए आदेश में सरकार को फटकार लगाई है। इस विषय को लेकर अधिवक्ता राकेश भाटकर के माध्यम से साल 2021 में दायर की गई याचिका में कहा है कि सीविल डिफेंस  सेंटर (नागरी सुरक्षा केंद्र) मुख्य रुप से भूकंप, तूफान,बाढ जैसी प्राकृतिक आपदा में काफी मददगार होते है। इस केंद्र से तटवर्ती इलाकों में शत्रुतापूर्ण हमलों को भी रोकने में मदद मिलती है। याचिका के मुताबिक साल 2011 में राज्य के 6 जिलों पालघर, मुंबई, ठाणे, रत्नागिरी व सिंधुदुर्ग को खतरनाक क्षेत्र घोषित किया गया है। इसके साथ ही इन इलाकों में नागरी सुरक्षा केंद्र स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। चार जिलों में यह केंद्र बन गए हैं लेकिन रत्नागिरी व सिंधुदुर्ग में यह केंद्र अभी तक नहीं बनाए जा सके।  

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पाया कि नागरी सुरक्षा केंद्र को राज्य आपादा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ एकीकृत करने व मान्यता देने का प्रस्ताव करीब पांच साल से प्रलंबित हैं। इस दौरान सरकारी वकील बीवी सामंत ने कहा कि राज्य सरकार के गृह विभाग ने इस बारे में अंतिम निर्णय लेने के लिए दो माह के समय की मांग की है। इससे खफा खंडपीठ ने कहा कि इस मामले से जुड़े प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लेने सरकार पूरी तरह से बेपरवाह नजर आ रही है। खंडपीठ ने कहा कि अब हम सरकार को एक अंतिम मौका दे रहे है और कहा कि अगली सुनवाई के दौरान हम इस मामले में मामले से संबंधित सचिव को कोर्ट में बुलाने में नहीं हिचकिचाएंगे। खंडपीठ ने अब याचिका पर सुनवाई 4 जुलाई को रखी है। 
 

Created On :   8 Jun 2022 8:50 PM IST

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