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पिता सिंघानिया की आत्मकथा पर रोक लगाने की मांग वाली बेटे की याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई की सिटी सिविल कोर्ट ने रेमंड समूह के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक गौतम सिघांनिया की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने अपने पिता विजयपत सिंघानिया की प्रस्तावित आत्मकथा ‘दि इनकंपलीट मैन’ के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग की थी। जस्टिस एसपी पोंकसे ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि गौतम सिंघानिया प्रथम दृष्टया यह दर्शाने में विफल रहे हैं कि किताब में उनके व उनके परिवार के बारे में मानहानिपूर्ण बाते लिखी गई हैं।
गौतम सिंघानिया ने सितंबर 2018 में अपने पिता की आत्मकथा से जुड़ी किताब के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग को लेकर सिटी सिविल कोर्ट में दावा दायर किया था। जिसमें गौतम सिंघानिया ने कहा था कि किताब में मेरे बारे में मानहानिपूर्ण बाते लिखी गई हैं, इस लिए इस किताब के प्रकाशन से मेरी प्रतिष्ठा प्रभावित होगी।
गौतम सिंघानिया के दावे पर गौर करने के बाद जस्टिस ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमारे सामने ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके आधार पर हम गौतम सिंघानिया की आंशका पर विश्वास कर सके। इसके साथ ही गौतम सिंघानिया अपनी याचिका के साथ ऐसे ठोस सबूत भी नहीं लगाए हैं, जिसके बल पर उनके दावे पर भरोसा किया जा सके।
इस दौरान जस्टिस ने कहा कि जीवनी व आत्मकथा में काफी अंतर होता है। जीवनी के तहत व्यक्ति जीवन के निजी अनुभवों को सिलसिलेवार तरीके से लिखता है। जबकि आत्मकथा में अपने अनुभव का जिक्र किया जाता है। विजयपत सिंघानिया ने कहा है कि वे आत्मकथा लिख रहे हैं, जीवनी नहीं है। जिसमें वे अपने अनुभव लिखेंगे। इसमें लिखी जानेवाली बाते सुनी-सनाई बातों पर आधारित नहीं होगी।
जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता गौतम सिंघानिया अदालत में यह साबित करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं कि उनके पिता की आत्मकथा उनके नीजता के अधिकार का हनन करती है और वह मानहानिपूर्ण है। इस दौरान किताब के प्रकाशक ने भी कोर्ट को आश्वस्त किया कि वे किताब को लेकर काफी सतर्कता बरतेंगे। वहीं विजयपत सिंघानिया ने कहा कि वे अपनी किताब में सिर्फ सच लिखेंगे।
Created On :   7 Jan 2019 7:24 PM IST