संसार में आत्मा सुंदर और आत्मा को सजाते हैं संन्यासी : सुवीरसागर

Souls are beautiful in the world and saints decorate souls said suvirasagar
संसार में आत्मा सुंदर और आत्मा को सजाते हैं संन्यासी : सुवीरसागर
संसार में आत्मा सुंदर और आत्मा को सजाते हैं संन्यासी : सुवीरसागर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संसार में आत्मा सुंदर है। आत्मा को सुंदर बनाने से वह श्रृंगारित होगा। जो शरीर को सजाता है वह संसारी और जो आत्मा को सजाएगा वह संन्यासी होगा। यह उद्गार तपस्वी सम्राट आचार्य सन्मतिसागर के शिष्य आचार्य सुवीरसागर ने श्री पार्श्वप्रभु दिगंबर जैन सेनगण मंदिर के सन्मति भवन में व्यक्त किए। आचार्यश्री ने कहा कि आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी के अनुसार जिसने निश्चय से साधना की उसने अपना मोक्ष मार्ग प्रशस्त कर लिया। शरीर सुंदर मिला, लेकिन आचरण ठीक नहीं है, तो जीवन बेकार है। आचरण अच्छा है, तो अपने समाज और कुल का नाम रोशन होता है। मुनि का शरीर रत्नत्रय से पवित्र होता है। आचार्यश्री ने कहा कि 7-8 साल के शुभचंद्र और भतृहरि दोनों भाई अपने घर के पास खेल रहे थे। वहां से गुजर रहे मुनि ने शुभचंद्र को पहचाना और अपने साथ जंगल ले गए। उन्हें शिक्षा-दीक्षा देकर साधना में रत कराया। इधर भतृहरि भी कपड़े परिधान वाले बाबा बन गए। दोनों ने 12 साल तक घोर तपस्या की। भतृहरि ने तपस्या के बल पर सोना बनाने का रसायन बनाया और विहार करते-करते दोनों भाई की एक जगह मुलाकात हुई।

भतृहरि ने अपने भाई शुभचंद्र मुनिराज को देखकर कहा- ये क्या बदन पर कपड़ा नहीं, बदन मैला-दुबला हो गया। ये देख मैंने तपस्या से सोना बनाने का रसायन बनाया। रसायन के लिए सोना बनाने हेतु मेरे पीछे लोगों की लाइन लग गई है। और तूने क्या किया? तो शुभचंद्र ने अपने हाथ में उठाई मिट्टी और सामने वाले पहाड़ पर फेंकी तो पूरा पहाड़ सोने का बन गया। भले ही शुभचंद्र मुनिराज का शरीर मैला होगा, पर आत्मा रत्नत्रय से मंडित थी। रत्नत्रय के साधना का ही यह फल या चमत्कार कहे, पर वे करते नहीं। वे कभी अच्छाई को नहीं छोड़ते। जहां पर आत्मिक शांति प्राप्त होती है एेसे देव-शास्त्र-गुरु के आयतन से जुड़े होते हैं। भगवान के समवशरण में सब प्राणी अपने बैर को भूलकर मैत्री में परिवर्तित करते हैं।  दीप प्रज्ज्वलन अध्यक्ष सतीश पेंढारी, संगीता पेंढारी, सुमत लल्ला, महावीर मिश्रीकोटकर, दिलीप शिवणकर, दिलीप राखे, दिनेश जैन, रवींद्र महाजन, हीराचंद मिश्रीकोटकर, पन्नालाल खेडकर ने किया। चरण प्रक्षालन पेंढारी परिवार ने किया। जीनवाणी भेंट महिला मंडल ने भेंट की। संचालन सूरज पेंढारी ने किया। बुधवार, 23 अक्टूबर को सुबह 8.30 बजे सन्मति भवन में दोपहर 3.30 बजे स्वाध्याय, शाम 7 बजे गुरु भक्ति, 9 बजे वैयावृत्ति होगी।      
 

Created On :   23 Oct 2019 2:08 PM IST

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