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ऋषि पंचमी का व्रत रखकर महिलाओं ने की विशेष पूजा
डिजिटल डेस्क, पन्ना। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि ०१ सितम्बर है जिसे ऋषि पंचमी भी कहते है। यह गणेश चतुर्थी के अगले दिन पड़ता है। इस दिन सप्त ऋषि की पूजा की परंपरा है। ये व्रत पाप से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। यह तिथि महिलाओं के लिए बेहद अहम मानी जाती है। खासतौर पर महिलायें इस दिन उपवास करती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार विदर्भ नाम का एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था उसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी जिसका नाम सुशीला था। उसका एक बेटा और एक बेटी थी, पिता ने एक योग्य वर देखकर अपनी पुत्री का विवाह उसके साथ कर दिया। कुछ दिनों बाद पुत्री विधवा हो गई। विदर्भ की पत्नी ने एक बार देखा कि उसकी विधवा बेटी के शरीर में कीड़े उत्पन्न हो रहे हैं। ये देख वो चिंता में पड़ गई, उसने अपने पति से पूछा कि हमारी बेटी की ये दशा कैसे हो गई। तब उसने ईश्वर का ध्यान लगाया और बताया कि पूर्व जन्म में उनकी पुत्री के हाथों से हुई गलती की वजह से आज उसकी ये दशा है। इस जन्म में भी इसने ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं। धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री चार दिन अपवित्र होती है वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से स्त्री ऋषि पंचमी का व्रत करे तो इसके सारे दुख दूर हो जाएंगे।
Created On :   3 Sept 2022 4:44 PM IST