था अटल विश्वास, मुंबई में कहा- अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा

Speech of Atal made Sanjivani for party workers
था अटल विश्वास, मुंबई में कहा- अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा
था अटल विश्वास, मुंबई में कहा- अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का वह यादगार भाषण मुंबई में ही हुआ। जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा’ उनके ये शब्द भाजपा कार्यकर्ताओं को आज तक संभल देते रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1980 में मुंबई (तब बंबई) में आयोजित भाजपा के पहले अधिवेशन में बतौर अध्यक्ष यह भाषण दिया था। उस वक्त बतौर राजनीतिक दल भाजपा की ताकत बहुत ही कम थी, लेकिन अटल के इस भाषण ने पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह से भर दिया था। पार्टी के पहले अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने देश की राजनीति के साथ ही उन नेताओं पर भी सवाल खड़े किए जो पद और प्रतिष्ठा की ताक में रहते हैं।

भाजपा के पहले अधिवेशन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि भाजपा का अध्यक्ष पद कोई अलंकार की वस्तु नहीं है। यह पद नहीं दायित्व है, प्रतिष्ठा नहीं है परीक्षा है, ये सम्मान नहीं है चुनौती है। मुझे भरोसा है कि आपके सहयोग से देश की जनता के समर्थन से मैं इस जिम्मेदारी को ठीक तरह से निभा सकूंगा।" पैसा और प्रतिष्ठा के पीछे पागल होने वालों के लिए हमारे यहां कोई जगह नहीं है। 

6 अप्रैल 1980 को मुंबई में दिए अपने अध्यक्षीय भाषण के अंत में अटल ने कहा था ‘भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर मैं ये भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा।" 38 साल पहले की गई अटलजी की ये भविष्यवाणी सच साबित हुआ और आज देश के 31 राज्यों में से 19 में भाजपा या भाजपा गठबंधन की सरकार है। 

वास्तव में अजात शत्रु थे अटल जी
अजात शत्रु यानि जिसका इस दुनिया में कोई शत्रु न हो, वास्तव में इस शब्द का प्रयोग अटल जी जैसे व्यक्तित्व के लिए ही किया जा सकता है। यह कहना है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व गृहराज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह का। श्री सिंह कहते हैं कि हम दोनों की पार्टी की विचारधारा भले अलग-अलग रही पर इसको लेकर अटल जी कभी भेदभाव नहीं करते थे। उत्तरभारत से जुड़ाव होने के नाते मुंबई आने पर हमेशा अटल जी का स्नेह मिला। 

सिंह बताते हैं कि बतौर प्रधानमंत्री अटल जी गोवा से मुंबई आ रहे थे। उस वक्त मैं महाराष्ट्र का गृह राज्यमंत्री था और उस दिन तत्कालिन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख अपने गृह जिले लातूर के दौरे पर थे। इस लिए उन्होंने अटल जी को एयरपोर्ट पर रिसीव करने कि जिम्मेदारी मुझे सौंपी थी। मैं अटल जी जो एयरपोर्ट पर रिसीव करने पहुंचा। उस दिन पहली बार अटल जी को धोती-कुर्ता की बजाय कुर्ते पायजामे में देखा तो मैंने कहा कि ‘अटल जी आज आप पूरी तरह सेक्यूलर लग रहे हो।’ जवाब में अटल जी ने हंसते हुए कहा, ‘कृपाशंकर जी सेक्यूलर क्या होता है और कम्यूनल क्या आज तक समझ नहीं सका।’ 

Created On :   16 Aug 2018 1:56 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story