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हाईकोर्ट की निगरानी में हो स्टैन स्वामी मौत मामले की जांच- अदालत में उठी मांग
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भीमा-कोरेगांव के एल्गार परिषद मामले में आरोपी दिवंगत स्टैन स्वामी की मौत मामले की जांच बांबे हाईकोर्ट की निगरानी में की जाए। शुक्रवार को स्वामी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिहीर देसाई ने हाईकोर्ट से आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अदालत इस मामले में कानूनी अभिभावक के रुप में मिली अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करें। स्वामी की पांच जुलाई 2021 को मुंबई के निजी अस्पताल में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। उस समय स्वामी न्यायिक हिरासत में थे।
सुनवाई के दौरान देसाई ने प्रसंगवश भोपाल गैस त्रासदी व दिवंगत नर्स अरुणा शानबाग के मामले का उदाहरण दिया। शानबाग लंबे समय तक कोमा में थी। जिसमें कोर्ट ने कानूनी रुप से अभिभावक के रुप में मिले अधिकारों का इस्तेमाल किया था। सुप्रीम कोर्ट में इस तरह की व्यवस्था की गई है। इसलिए कोर्ट इस मामले में कानूनी अभिभावक के रुप में कार्य करें। उन्होंने कहा कि स्वामी के मामले की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों के तहत की जाए। उन्होंने कहा कि फादर फ्रेजर मैस्क्रेहिनस को स्वामी की मौत के मामलो की हो रही जांच में शामिल होने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि अब स्वामी की जमानत आवेदन पर फैसला देने की आवश्यक्ता नहीं है।
हम अपनी बातों को वापस लेते है-खंडपीठ
इससे पहले राष्ट्रीय जांच एंजेंसी (एनआईए) की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ द्वारा पिछली सुनवाई के दौरान स्वामी की सराहना में कही बातों को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि हमने भी स्वामी की मौत पर शोक व्यक्त किया है। लेकिन न्यायाधीश की ओर से खास तौर से खुली अदालत में किसी के बारे में निजी टिप्पणी को आम तौर पर प्रेस व सोशल मीडिया पर अलग तरीके से पेश किया जाता है। 19 जुलाई को खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कानूनी मामला एक अलग विषय है। स्वामी अच्छे इंसान थे। समाज के प्रति उनके द्वारा किए गए काम का हम सम्मान करते हैं।
सिंह की दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट ने एनआई पर कोई निजी टिप्पणी नहीं की है। यदि एनआईए चाहती है तो हम अपनी कही गई बातों को वापस लेते हैं। हमारा प्रयास मामले को लेकर निष्पक्ष व संतुलित रहना है। खंडपीठ ने कहा कि हमारी समस्या यह है कि कोर्ट के बाहर क्या होता है, हम उसे नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। आखिर हम भी इंसान हैं। खंडपीठ की ओर से आयी प्रतिक्रिया के बाद सिंह ने कहा कि हमारी कोर्ट से कोई शिकायत नहीं है। एनआईए के लिए सिर्फ उसके प्रति लोगों की जनधारणा महत्व रखती है। उन्होंने कहा कि हमें कोई आपत्ति नहीं। यदि कोर्ट इस मामले से जुड़ी जांच रिपोर्ट मंगाती है। हमे फादर मैस्क्रेहिनस के जांच में शामिल होने पर भी आपत्ति नहीं है। हम इस प्रकरण में मानवाधिकार आयोग की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन कर रहे हैं।
Created On :   23 July 2021 5:53 PM IST