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राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने सौंपा ओबीसी से जुड़ा आकड़ा, सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी के आंकड़ों से जुड़ी अंतरिम रिपोर्ट को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंप दिया है। इस रिपोर्ट में आयोग ने 50 प्रतिशत के दायरे में रहते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण देने की सिफारिश की है। आयोग ने राज्य में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण कायम रखने की सिफारिश की है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण मामले पर सुनवाई होगी। जिसमें आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को पेश किया जाएगा। इससे ओबीसी आरक्षण को लेकर शीर्ष अदालत की ओर सभी की नजरें लगी हुई हैं। सोमवार को प्रदेश के खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई की तैयारी को लेकर सरकार के वरिष्ठ वकीलों के साथ बैठक की। भुजबल ने बताया कि रविवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के साथ ऑनलाइन बैठक हुई थी। जिसके बाद हमने आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आनंद निरगुडे की ओर से दी गई अंतरिम रिपोर्ट को मुख्यमंत्री को सौंपा है। इस अंतरिम रिपोर्ट को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा। भुजबल ने कहा कि आयोग की अंतिम रिपोर्ट 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए मददगार होगी। आयोग ने पाया है कि महाराष्ट्र में ओबीसी 27 प्रतिशत से काफी अधिक है।
भुजबल ने कहा कि आयोग ने अंतरिम रिपोर्ट में स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू करने की सिफारिश की है। साथ ही आयोग ने ओबीसी के आंकड़ों की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांगा है। भुजबल ने कहा कि बीते जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को ओबीसी के आंकड़ों को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को छानबीन के लिए देने के निर्देश दिए थे। इसके मद्देनजर आयोग ने छानबीन करके अंतरिम रिपोर्ट तैयार की है।
ऐसे तैयार हुई अंतरिम रिपोर्ट
आयोग ने राज्य के स्कूली शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन, गोखले संस्थान, बार्टी संस्थान, जिला और तहसीलवार एससी व एसटी सर्वेक्षण रिपोर्ट समेत अन्य संस्थानों से मिले दस्तावेजों के आधार पर अंतरिम रिपोर्ट तैयार की है।
आयोग की सिफारिशें
• आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि जिला, तहसील और ग्राम पंचायतवार ओबीसी के जनसंख्या का अध्ययन करके ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण तय किया जाए।
• सभी जगहों पर ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत अलग-अलग हो सकता है। इससे आदिवासी बहुल इलाकों में ओबीसी आरक्षण निर्धारित 27 प्रतिशत से कम होगा। आदिवासी बहुल जिन इलाकों में पेशा कानून लागू है वहां पर ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता।
Created On :   7 Feb 2022 8:17 PM IST