- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने कहा -...
हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने कहा - फेरीवालों को नहीं दे सकते कारोबोर की इजाजत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि कोरोना संकट के चलते पाबंदियों के साथ भी फेरीवालो को फिलहाल कारोबार करने की इजाजत नहीं दी जा सकती हैं। आपदा प्रबंधन तथा राहत व पुनर्वास विभाग के सचिव ने हलफनामा दायर कर हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है।हलफनामे में कहा गया है कि जमीनी हकीकत पर नजर डाली जाए तो राज्य के शहरीय व ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में पाबंदियों के साथ भी फेरीवालों को अपना कारोबार करने की इजाजत फिलहाल नहीं दी जा सकती। क्योंकि फेरीवाले असंगठित क्षेत्र में आते हैं। जहां पाबंदियों को लागू करना बेहद मुश्किल है। इनकी होटल व रेस्टोरेंट से तुलना नहीं कि जा सकती है। जहां तक बात नुकसान की है तो लॉकडाउन के चलते राज्य के कई कारोबारों को काफी घटा झेलना पड़ा है। हलफनामे के मुताबिक वर्तमान में पुलिस व स्थानीय निकाय के कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक बोझ है। जो फेरीवालों पर लगाई जाने वाली पाबंदियों पर नजर नहीं रख पाएंगे। क्योंकि पुलिस व स्थानीय निकाय के कर्मचारी लॉकडाउन के निर्देशों को लागू कराने की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। इसलिए यदि पाबंदियों के साथ भी फेरीवालों को कारोबार की इजाजत दी जाती है तो उन पाबंदियों पर नजर रख पाना मुश्किल है। लिहाजा मौजूदा समय में सरकार की मंशा फेरीवालों को प्रतिबंधित व गैर प्रतिबंध लगाया क्षेत्र कारोबार करने देने की नहीं है। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए आखिरी मौका दिया था। फेरीवालों के मुद्दे को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज ओसवाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के चलते फेरीवाले काफी प्रभावित हुए हैं। उनके सामने जीविका का बहुत बड़ा संकट खड़ा है। इसलिए राज्य सरकार को फेरीवाले के जीविका के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया जाए।
मंगलवार से 21 याचिकाओं पर एक साथ हाईकोर्ट में शुरु होगी सुनवाई
ग्रामपंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर 21 याचिकाओं पर मंगलवार से सुनवाई शुरु होगी। राज्य के महाधिवक्ता ने सोमवार को न्यायमूर्ति उज्जल भूयान की खंडपीठ के सामने कहा कि मामले से संबंधित सभी 21 याचिकाओं को एकत्रित कर लिया गया है। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी। कोरोना संकट के चलते राज्य भर में कार्यकाल पूरा होने के बावजूद हजारों ग्रामपंचायतो के चुनाव नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए सरकार ने इन ग्राम पंचायतों पर प्रशासकों की नियुक्ति के लिए आदेश जारी किया है। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि ग्रामपंचायत में प्रशासक के तौर पर नियुक्ति में सरकारी कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाए। यदि निजी व्यक्ति को प्रशासक के रुप में नियुक्त किया जाता है तो इसका लिखित में कारण दिया जाए।
Created On :   3 Aug 2020 6:03 PM IST