नई एजेंसी को जांच सौंपने पर राज्य सरकार को देना पड़ेगा जवाब

State government will have to answer on handing over investigation to new agency
 नई एजेंसी को जांच सौंपने पर राज्य सरकार को देना पड़ेगा जवाब
 नई एजेंसी को जांच सौंपने पर राज्य सरकार को देना पड़ेगा जवाब

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बहुचर्चित सिंचाई घोटाले में  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। एसीबी द्वारा पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को क्लीन चिट देने के बाद  याचिकाकर्ता अतुल जगताप ने कोर्ट में अर्जी लगा कर मामले की जांच सीबीआई या ईडी को सौंपने की प्रार्थना की है। इस पर राज्य सरकार अपना उत्तर कोर्ट में प्रस्तुत करेगी।

हाईकोर्ट ने इसके लिए राज्य सरकार को 15 जनवरी तक का वक्त दिया है। बता दें कि सिंचाई घोटाले को जोरदार तरीके से उठाने वाली तत्कालीन भाजपा सरकार में प्रकरण की जांच करने वाली नागपुर और अमरावती एसीबी ने मुख्य आरोपी अजित पवार को क्लीन चिट दे दी है। वहीं याचिकाकर्ता ने भी इस पर पलटवार करते हुए एसीबी और एसआईटी की कार्यशैली पर अविश्वास जताया है। मामले में याचिकाकर्ता जनमंच की ओर से एड. फिरदौस मिर्जा और अतुल जगताप की ओर से एड. श्रीधर पुरोहित ने पक्ष रखा। 

गड़बड़ी सामने नहीं आई : एसीबी
नागपुर खंडपीठ में प्रस्तुत अपने शपथपत्र में एसीबी नागपुर अधीक्षक रश्मि नांदेडकर और एसीबी अमरावती अधीक्षक श्रीकांत धीवारे ने राहत देते हुए बताया है कि सिंचाई घोटाले में अजित पवार के खिलाफ आपराधिक मामला नहीं बनता है, न ही अपनी जांच में एसीबी ऐसे किसी निष्कर्ष पर पहुंची, जिसमें पवार के ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने की बात सामने आई हो। पवार के जलसंपदा मंत्री होने के कारण घोटाले में उनकी भूमिका की जांच की गई थी। एसीबी के अनुसार जांच समिति ने सभी प्रकार के पहलुओं का अध्ययन किया।

समिति के अनुसार वीआईडीसी के कार्यकारी संचालक या विभाग के सचिव की जिम्मेदारी थी कि टेंडर से जुड़े तमाम पहलुओं का अध्ययन करके मंत्री को रिपोर्ट दें और बताएं कि कहां क्या गड़बड़ी है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनके टेंडर में कुछ आपत्ति नहीं ढूंढ़ पाने के कारण ऐसे में तत्कालीन मंत्री अजित पवार का सीधे ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने में हाथ था, यह बात सिद्ध नहीं होती। अब तक हुई जांच के अनुसार टेंडर से जुड़ी फाइलों की पड़ताल नहीं की गई। एक कंपनी की ओर से अनेक टेंडर प्रस्ताव भरे गए और कंपनी को ठेका दिया गया। यह सारी लापरवाही प्रशासनिक स्तर पर हुई। इसमें जलसंपदा मंत्री या वीआईडीसी अध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं बनती है।

Created On :   17 Dec 2019 10:27 AM GMT

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