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उद्योगमंत्रियों ने की 32 हजार हेक्टेयर जमीन गैर अधिसूचित : बख्शी समिति की रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए राज्य के उद्योगमंत्रियों ने पिछले 15 सालों में उद्दयोग के लिए अधिसूचित की गई जमीन में से 32 हजार हेक्टर जमीन गैर अधिसूचित की है। केपी बक्षी समिति की रिपोर्ट में इस तथ्य का खुलासा किया गया है। मौजूदा उद्योग मंत्री सुभाष देसाई व पूर्व उद्योग मंत्री नारायण राणे ने विभाग के सुझावों को नजरअंदाज कर हजारों हेक्टर जमीन गैरअधिसूचित की है। जमीन गैरअधिसूचित करते वक्त कई मौके पर जरुरी नियमों व मार्गदर्शन के लिए बनाए गए निर्देशों की उपेक्षा की गई। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है।
महाराष्ट्र राज्य औद्योगिक विकास महामंडल(MIDC) के कानून के मुताबिक उद्योग के लिए जमीन अधिसूचित की जाती है। फिलहाल जमीन को गैरअधिसूचित करने की अवधि 35 वर्ष है। समिति ने इसे घटाकर 15 साल करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि जमीन 15 सालों में गैरअधिसूचित नहीं की जाती है तो वह अपने आप अधिसूचित हो जाएगी। यही नहीं जमीन अधिसूचित करने से पहले MIDC के अधिकारी स्थल पर जाकर जमीन का सर्वेक्षण करे। इसकी भी सिफारिश रिपोर्ट में की गई है।
बख्शी समिति की रिपोर्ट से खुलासा
साल 2017 के मानसून सत्र के अधिवेशन के दौरान विपक्ष ने नाशिक के इगतपूरी तहसील में उद्योग के लिए अधिसूचित की गई हजारों हेक्टेयर जमीन को गैरअधिसूचित करने के निर्णय में करोड़ो रुपए के भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाया था। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जमीन के संबंध में पिछले 15 वर्षों में लिए गए निर्णय की जांच का आश्वासन दिया था। उद्योगमंत्री सुभाष देसाई पर लगे आरोपों की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने पूर्व आईएएस अधिकारी केपी बक्षी की अध्यक्षता कमेटी बनाई थी। बक्षी कमेटी ने साल 2002 से 2017 की कालावधि के दौरान जमीन के संबंध में लिए गए निर्णयों की जांच की है।
समिति ने 21 मार्च को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री फडणवीस को सौपी है। रिपोर्ट में सुभाष देसाई को क्लीनचिट दी गई है। जबकि अन्य पहलू स्पष्ट नहीं किए गए है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 15 साल में 32 हजार हेक्टर जमीन गैरअधिसूचित की गई है। जमीन गैरअधिसूचित करने का अधिकार उद्योगमंत्री का होता है। उद्योगमंत्री देसाई ने 40 से 45 मामलों में अपने अधिकार का इस्तेमाल किया है। जबकि पूर्व उद्योगमंत्री नारायण राणे ने 60 प्रकरणों में अपने इस अधिकार का इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट में अधिसूचित जमीन को गैरअधिसूचित करने को लेकर समिति ने नीति बनाने की भी सिफारिश की है।
Created On :   1 April 2018 5:52 PM IST