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फिर भी आदिवासी विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा स्थायी छात्रावास

डिजिटल डेस्क, अमरावती। जिले में कुल 28 आदिवासी छात्रावास मौजूद हैं। लेकिन इनमें से सभी किराए की इमारतों पर ही निर्भर है। आदिवासी कल्याण विभाग की ओर से शहर के रहाटगांव स्थित उपलब्ध कराई गई जमीन पर भव्य छात्रावास निर्माण किया जाना है। लेकिन पिछले चार वर्षो से निरंतर छात्रावास निर्माणकार्य के संदर्भ में फाइलों से इतर किसी प्रकार की कोई प्रगति नहीं हो पा रही है। जिसके परिणामस्वरुप छात्रों को निकृष्ट दर्जे के छात्रावास में रहने पर विवश होना पड़ रहा है। अमरावती शहर में राजापेठ, राजकमल, बडनेरा, गाडगेनगर में आदिवासी छात्रावास मौजूद हैं। लेकिन जिन इमारतों में यह छात्रावास बनाए गए हैं, उनकी स्थिति काफी दयनीय है। यहा पर रखरखाव के अभाव से लेकर अन्य कई तरह की दर्व्यवस्थाएं मौजूद है। इन समस्याओं को लेकर आदिवासी छात्र अधिकारियों का घेराव भी कर चुके हंै। लेकिन यह समस्याए हल नहीं हो सकी है। आदिवासी छात्रों के लिए शहर में स्थायी छात्रावास बनाने के लिए 2016 में जगह उपलब्ध कराई गई थी। इसके साथ ही आदिवासी कल्याण विभाग की ओर से निधि का आवंटन भी किया गया था। लेकिन स्थानीय कारनों के चलते छात्रावास का निर्माण नहीं हो पा रहा है। नए छात्रावास में आदिवासी छात्रों के लिए कई तरह की व्यवस्था की गई है। इन सबके बावजूद आखिर स्थानीय कार्यालय की ओर से काम कब शुरु किया जाएगा यह सवाल आदिवासी छात्रों की ओर से पूछा जा रहा है।
छात्रावास के कार्य को मिलेगी गति
प्रदीप चंद्रन, उपायुक्त आदिवासी विभाग के मुताबिक अमरावती शहर में प्रस्तावित आदिवासी छात्रावास के कार्य को गति प्रदान की जाएगी। इस संदर्भ में अभी तक बरती गई लापरवाही को दूर कर सक्षम रूप से कार्य किया जाएगा।
भोजन से लेकर रहने तक की दिक्कत
शहर ही नहीं जिले भर के आदिवासी छात्रावासों में रहने से लेकर बेहतर खाने तक की दिक्कते हंै। इस संदर्भ में जिलाधीश कार्यालय तक को कई बार दखल देना पड़ा है। इसके बावजूद समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते व्यवस्थाएं नहीं बदल पा रही है।
Created On :   19 Oct 2021 7:42 PM IST