सांसद गवली ने 35 एकड़ जमीन आठ लाख रुपए में खरीदी

Sugar mill case - MP Gawli bought 35 acres of land for eight lakh rupees
सांसद गवली ने 35 एकड़ जमीन आठ लाख रुपए में खरीदी
चीनी मिल मामला सांसद गवली ने 35 एकड़ जमीन आठ लाख रुपए में खरीदी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना सांसद भावना गवली अपने परिवार की चीनी मिल द्वारा बैंक का कर्ज न चुका पाने पर उसकी लिक्विडेटर बन गईं और फिर उनकी ही कंपनी ने नीलामी में चीनी मिल बेहद कम कीमत पर खरीद ली। इसके लिए जिस बैंक ने गारंटी दी थी उस पर भी भावना गवली का ही नियंत्रण था। इसी तरह गवली ने मिल की 35 एकड़ जमीन भी सिर्फ 8 लाख रुपए में अपने कब्जे में ले ली। मामले में हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर आरोपपत्र में यह खुलासा हुआ है। ईडी गवली और उनके करीबी सईद खान के खिलाफ मनी लांडरिंग के आरोपों की जांच कर रही है। मामले में एक शिकायतकर्ता हरीश सारडा ने कहा कि आरोपपत्र से साफ है कि उन्होंने जो आरोप लगाए थे जांच एजेंसी ने छानबीन के दौरान बिल्कुल सही पाए। सारडा ने कहा कि जिस 35 एकड़ जमीन को गवली ने 8 लाख रुपए में खरीदा उसकी वास्तविक कीमत 15 से 20 लाख रुपए प्रति एकड़ है। मामले में मूल शिकायतकर्ता भावना गवली ही हैं उन्होंने पुलिस से शिकायत की थी कि कुछ पूर्व कर्मचारियों ने महिला उत्कर्ष प्रतिष्ठान को कंपनी बनने से पहले 18 करोड़ रुपए का चूना लगाया था। जिसे गवली ने आरोपी बताया था वही अब ईडी का प्रमुख गवाह है।   

ऐसे हुआ घोटाला

आरोपपत्र के मुताबिक श्री बालाजी सहकारी पार्टिकल कारखाना लिमिटेड की स्थापना साल 1992 में भावना गवली के पिता और पूर्व सांसद पुंडलिक राव गवली ने की थी। कंपनी ने कारोबार बढ़ाने के नाम पर साल 1997 से 2001 के बीच नेशनल को-आपरेटिव डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन से 43 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। जिस काम के लिए कर्ज लिया गया था वह पूरा नहीं हुआ। कर्ज वापस नहीं किया जा सका इसलिए मिल के अध्यक्ष और दूसरे प्रबंधकों ने मिलकर मिल की 35 एकड़ जमीन और दूसरी संपत्तियां बेंचकर कर्ज चुकाने के लिए लिक्विडेटर नियुक्त करने का फैसला किया। भावना गवली को ही लिक्विडेशन बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया। नीलामी के लिए अखबारों में विज्ञापन दिए गए लेकिन इसके लिए भावना गवली की ही कंपनी एग्रो प्रोडक्ट एंड सर्विसेस प्रायवेट लिमिटेड को ही पात्र ठहराया गया। बोर्ड ने मिल की कंपनी को 7 करोड़ 59 हजार रुपए में बेंच दिया। इसके लिए सिर्फ 75 लाख रुपए का भुगतान किया गया। बाकी 6.84 करोड़ रुपए के लिए रिसोड अर्बन को-आपरेटिव बैंक ने गारंटी दी थी जिसकी अध्यक्ष भावना गवली थीं। भावना एग्रो प्रोडक्ट एंड सर्विसेस के निदेशक अशोक गंडोले ने ईडी को दिए अपने बयान में बताया कि बकाया रकम कभी दी ही नहीं गई। यही नहीं मिल की 35 एकड़ जमीन भावना गवली के ही  महिला उत्कर्ष प्रतिष्ठान ट्रस्ट ने सिर्फ 8 लाख रुपए में खरीदा। इसके बाद 11 ट्रस्टियों वाले ट्रस्ट को गवली ने कंपनी में बदल दिया जिसमें उनकी मां शालिनी और करीबी सईद खान डायरेक्टर बनाए गए। इस तरह गवली ने सिर्फ 8 लाख रुपए में 35 एकड़ जमीन पर पूरा कब्जा कर लिया। जांच में खुलासा हुआ है कि ट्रस्ट 22 शैक्षणिक संस्थाएं चलाता है और उसे हर साल फीस और डोनेशन के रूप में 20 करोड़ रुपए मिलते हैं।     

शिकायतकर्ता को जिलाबदर का नोटिस

भावना गवली के खिलाफ ईडी में शिकायत करने वाले हरीश सारडा ने बताया कि प्रशासन उन्हें लगातार परेशान कर रहा है। जब लोगों को कोरोना संक्रमण के दौरान घरों में रहने को कहा जा रहा है पुलिस ने उन्हें तड़ीपार करने का नोटिस थमा दिया। सारडा ने कहा कि मैं डाइबिटीज का मरीज हूं लेकिन मुझे पुलिस ने जिलाबदर करने का नोटिस दे दिया। इसके खिलाफ मैंने अमरावती के विभागीय आयुक्त से शिकायत की तो उन्होंने इस आदेश पर अंतरमि रोक तो लगा दी लेकिन दिन में तीन बार पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगाने को कहा है।  

     

Created On :   4 Jan 2022 9:19 PM IST

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