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मनपंसद लड़के से शादी न होने पर लड़की की आत्महत्या का मतलब यह नहीं कि प्रेमी ने उसे उकसाया है
डिजिटल डेस्क, मुंबई, कृष्णा शुक्ला। मनपंसद लड़के से शादी न होने पर लड़की के आत्महत्या करने का मतलब यह नहीं कि उसके प्रेमी ने उसे आत्महत्या के लिए उकसाया है। बांबे हाईकोर्ट ने एक 21 वर्षीय युवक के खिलाफ 18 साल की लड़की को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दर्ज एफआईआर व आरोपपत्र को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध उकसानेवाले के इरादे पर निर्भर करता है न कि उस व्यक्ति कि हरकत पर जिसे उकसाया गया है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि लड़के के लड़की के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे या मान ले प्रेम संबंध थे। सिर्फ यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं है कि लड़के ने लड़की को आत्महत्या के लिए उकसाया था। मामले को लेकर युवक के खिलाफ पुणे के जेजूरु पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था। क्योंकि लड़की ने विवाह के तीन माह बाद इसलिए आत्महत्या कर ली थी क्योंकि उसके माता-पिता ने उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी शादी की थी। युवक ने खुद को इस मामले में बेकसूर मानते हुए प्रकरण को लेकर दायर आरोपपत्र को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि युवक व युवती दोनों पुणे के एक कालेज में पढते थे। कालेज की सांस्कृतिक गतिविधियों व कार्यक्रम के दौरान युवक-युवती की दोस्ती हुई थी। फिर दोनों की दोस्ती प्रेम में बदल गई। लेकिन लड़की के घरवालों को यह पसंद नहीं आया। उन्होंने लड़की की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ 23 दिसंबर 2018 को अमोल लोखंडे नाम के लड़के के साथ कर दी। युवति ने जब शादी का विरोध किया तो उसे धमकाया गया और पीटा गया। युवति लोखंडे को अपना पति नहीं स्वीकार कर पायी। इसके बाद वह मायके आ गई। फिर मायके में 20 मार्च 2019 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हालांकि सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी युवक व उसके घरवालों ने पीड़िता को कहा था कि उसकी शादी हो चुकी है इसलिए वह याचिकाकर्ता (युवक) से शादी नहीं कर सकती है। इसलिए पीडिता काफी परेशान थी। पीड़िता ने आरोपी युवक को कई बार फोन किया था और अपने साथ ले जाने का आग्रह किया था लेकिन आरोपी युवक ने उसके आग्रह पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते लड़की ने आत्महत्या कर ली।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि मामले से जुड़े आरोपपत्र में युवक की इस मामले में कोई भूमिका नजर नहीं आती है। सिर्फ युवक की लड़की से दोस्ती थी या मान ले प्रेमसंबंध थी मगर यह आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए पर्याप्त नहीं है। आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध उकसानेवाले के इरादे पर निर्भर करता है न कि उस व्यक्ति कि हरकत पर जिसे उकसाया गया है। इस मामले में धारा 306 के तहत उल्लेखित अपराध के घटक बिल्कुल भी नजर नहीं आते है। इसलिए इस मामले में आरोपी युवक की याचिका को स्वीकार किया जाता है और उसके खिलाफ दायर आरोपपत्र को रद्द किया जाता है।
Created On :   19 Dec 2022 9:49 PM IST