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सुप्रीम कोर्ट : महाराष्ट्र में उपचुनाव पर रोक की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई, विधान परिषद में नामांकन के मानदंड संबंधी याचिका खारिज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आरक्षण की 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन होने के मुद्दे पर पांच जिलों की जिला परिषद और इसके तहत आने वाली 33 पंचायत समितियों की खाली हुई सीटों पर 19 जुलाई को होने वाले उपचुनाव पर रोक लगाने की अनुरोध वाली महाराष्ट्र सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में अब 6 जुलाई को सुनवाई होगी। कोरोना के चलते राज्य सरकार ने गत 28 जून को सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर निकाय उपचुनावों पर अगले छह माह तक रोक लगाने का अनुरोध किया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते 4 मार्च को हुई सुनवाई में प्रदेश के नागपुर, अकोला, नंदुरबार, धुले और वाशिम जिलों की जिला परिषदों और पंचायत समितियों के चुनावों में ओबीसी आरक्षण रद्द कर दिया है। इस वजह से रिक्त हुई 200 सीटों को सामान्य वर्ग से भरने के लिए राज्य चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा की है। इसे राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस पर शुक्रवार को सुनवाई होनी थी।
महाराष्ट्र विधान परिषद में नामांकन के मानदंड संबंधी याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 171 के तहत राज्य की विधान परिषद में नामांकन के लिए मानदंड तय करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज की।प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल के दिशानिर्देश निर्धारित नहीं कर सकता है और संविधान में मौजूद प्रावधान में संशोधन नहीं कर सकता। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि हम यहां राज्यपाल को सलाह देने या राज्यपाल के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने के लिए नहीं है। आप चाहते है कि हम संविधान में संशोधन करें? यह हमारा अधिकारक्षेत्र नहीं है। प्रदेश के लातूर जिले के एक प्रधानाध्यापक डॉ जगन्नाथ पाटील ने यह याचिका दायर की थी। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 171 (विधान परिषद की संरचना) के खंड 5 की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा गया कि राज्यपाल द्वारा नामित किए जाने वाले सदस्यों के लिए विशिष्ट मानदंड तय नहीं होने के अभाव में कई पात्र और योग्य व्यक्तित्व अक्सर नामांकन प्रक्रिया से वंचित रह जाते हैं। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि खंड (3) के उपखंड (ई) के तहत निर्धारित पांच श्रेणियों साहित्य, विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन और सामाजिक सेवा से नामांकन करने के उद्देश से अभी तक कोई मानदंड तैयार या अंतिम रुप नहीं दिय गया है। लिहाजा राज्पाल के पास निर्दिष्ट क्षेत्रों के लोगों को चुनने का विवेक होना चाहिए ताकि सत्ता में पार्टी इसके लिए सिफारिश करने से बच सके। याचिकाकर्ता की वकील ने दलील में कहा कि शीर्ष अदालत को उद्धव ठाकरे सरकार को नामांकन की प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करने का निर्देश देना चाहिए। इससे विधायकों के नामांकन में राजनीतिक दलों द्वारा अपनाई जाने वाली पारंपरिक प्रथा से बचा जो सकेगा
Created On :   2 July 2021 8:49 PM IST