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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के आदिवासी विकास विभाग के सचिव को किया नोटिस जारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र के आदिवासी विकास विभाग के सचिव अनुप कुमार यादव, विभाग के आयुक्त हीरालाल सोनवणे और अतिरिक्त आयुक्त गिरीश सोनवणे को नोटिस जारी किया है और पूछा है कि इन्हें अब तक स्थायी क्यों नहीं किया गया। दरअसल, मामला आदिवासी विकास आश्रम शाला में सहायक शिक्षक तथा तीन और चार वर्ग के पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को स्थायी कराए जाने से संबंधित है। आदिवासी विकास आश्रम शाला और रोजनदारी शिक्षक एवं चतुर्थ श्रेणी संगठन की ओर से आदिवासी विकास विभाग प्रशासन से आदिवासी क्षेत्र में कार्यरत करीब सौ से अधिक इन कर्मचारियों को स्थायी कराने की लगातार मांग कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2008, 2009 और 2011 में विभाग को अपनी मांग के संबंध में ज्ञापन भी सौंपे थे, लेकिन प्रशासन ने इसकी लगातार अनदेखी की।
इसके खिलाफ संगठन ने बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ में 2011 में एक याचिका दायर की। औरंगाबाद खंडपीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए संगठन के ज्ञापन पर अगले आठ हफ्तों में निर्णय लेने का आदेश दिया। आदिवासी विकास विभाग ने औरंगाबाद खंडपीठ के आदेश पर कार्रवाई करने के बजाय संगठन के ज्ञापन को फिर खारिज कर दिया। लिहाजा उन्हें फिर अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। 2012 में संगठन की याचिका पर फैसला सुनाते हुए औरंगाबाद खंडपीठ ने कहा कि जो कर्मी दस साल से कार्यरत है उन्हें स्थायी किया जाए, जिनको नौकरी करते दस साल पूरे हो गए थे और काम से निकाल दिया गया उन्हें फिर से उनके पदों पर रखा जाए और उन्हें स्थायी कराया जाने के आदेश दिए।
औरंगाबाद खंडपीठ के इस आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने अक्टूबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ के आदेश को बरकरार रखते हुए महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज की और सभी कर्मचारियों को तीन महीने के भीतर नौकरी में शामिल करने संबंधी काईवाई पूरी करने के आदेश दिए। हैरानी की बात यह कि इसके बाद भी महाराष्ट्र सरकार के आदिवासी विभाग के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की भी अनदेखी की। लिहाजा आदिवासी विकास आश्रम शाला और रोजनदारी शिक्षक एवं चतुर्थ श्रेणी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के खिलाफ फिर अवमानना याचिका दायर की। मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और शीर्ष अदालत ने विभाग के सचिव को इस मामले में नोटिस जारी किया।
Created On :   11 April 2021 2:34 PM IST