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यहां दांतों से उठा देते हैं 42 किली की तलवार
डिजिटल डेस्क, पुणे। तलवार और वह भी दांतों से उठाना नाको चने चबाने जैसा ही है लेकिन दशहरे के दिन महाराष्ट्र के जेजुरी मंदिर में एक विशेष आयोजन होता है। इस उत्सव में हल्दी से रंग खेलने और अपने दांत से 42 किलो की तलवार उठाने की विशेष परंपरा है। इस स्थान पर शिवाजी महाराज अपने पिता से मिलते थे और युद्ध की रणनीति बनाते थे।
शिवाजी महाराज के सम्मान में आज भी उनकी 42 किलो की तलवार को दांत से उठाने की परंपरा यहां जारी है। उत्सव से पहले खंडोबा भगवान की शोभायात्रा निकाली गई। खंडोबा को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। यह मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर है। यहां पहुंचने के लिए भक्तों को करीब 200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। चढ़ाई करते समय मंदिर के प्रांगण में स्थित दीपमाला का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है।
डेढ़ लाख लोग हुए शामिल
दशहरे दिन मनाया जाने वाला जेजुरी का यह उत्सव पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। विदेशों से लोग इस उत्सव में शामिल होने के लिए जेजुरी आते हैं। इस उत्सव को मनाने के लिए मंदिर परिसर में इस साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोग जमा हुए थे। सभी ने एक दूसरे पर हल्दी फेंक कर यह उत्सव मनाया।
मुख्य द्वार पर पीतल का कछुआ
मंदिर को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया गया है। पहला भाग मंडप कहलाता है, जहां श्रद्धालु एकत्रित होकर पूजा करते हैं। दूसरा भाग गर्भगृह है जहां खंडोबा की प्रतिमा विद्यमान है। हेमड़ा पंथी शैली में बने इस मंदिर में 28 फीट आकार का पीतल से बना कछुआ भी है। इसे एक वाद्ययंत्र के रूप में भजन, कीर्तन और नृत्य के लिए उपयोग किया जाता था।
Created On :   3 Oct 2017 10:28 PM IST