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मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि के लिए हुई अस्थाई व्यवस्था
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुख्यमंत्री सहायता निधि से चिकित्सीय मदद के लिए अस्थायी व्यवस्था की गई है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के जरूरमंद मरीजों के परिजन अब मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि के लिए मुंबई के वरली स्थित महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य (स्वास्थ्य) योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पास आवेदन कर सकेंगे। वरली नाका स्थित गणपतराव जाधव मार्ग पर स्थित राज्य कामगार बीमा योजना अस्पताल परिसर के जीवनदायी भवन की दूसरी मंजिल पर महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कार्यालय है। बुधवार को सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से मुख्यमंत्री सहायता निधि के नियम और विनियमन के संबंध में शासनादेश जारी किया गया। इसके अनुसार महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना में शामिल 581 बीमारियों के इलाज के अलावा अन्य रोगों के इलाज के लिए आर्थिक सहायता देने संबंधी आवेदनों की जांच महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी करेंगे। पात्र आवेदनों की सिफारिश के बाद निधि वितरण संबंधी कार्यवाही मौजूदा समिति के सदस्य करेंगे। पहले मरीजों के परिजन आर्थिक मदद के लिए मंत्रालय में छठवीं मंजिल पर स्थित मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि कक्ष में आवेदन करते थे पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद 14 नवंबर से मंत्रालय का यह कक्ष बंद कर दिया गया था। लेकिन अब मरीजों के परिजनों को मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि के लिए मंत्रालय के बजाय वरली स्थित राज्य कामगार बामी योजना अस्पताल परिसर के महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य कार्यालय में जाना पड़ेगा। मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता निधि के संबंध में पूछताछ के लिए वरली स्थित राज्य कामगार बामी योजना अस्पताल परिसर के फोन नंबर 022-24999203/04/05 पर संपर्क कर सकते हैं।
नागपुर, अमरावती और वर्धा के लिए 9 करोड़ रुपए वितरित करने को मंजूरी
इसके अलावा नागपुर, अमरावती और वर्धा जिले को सिट्रस इस्टेट के रूप में विकसित करने संबंधी योजना को लागू करने के लिए साल 2019-20 में 15 करोड़ रुपए देने खर्च करने को प्रशासनिक मंजूरी प्रदान की गई है। इसमें से 60 प्रतिशत राशि यानि 9 करोड़ रुपए निधि वितरित करने की स्विकृति दी गई है। बुधवार को राज्य सरकार के कृषि विभाग की ओर से इस संबंध में शासनादेश जारी किया गया। सिट्रस इस्टेट योजना को लागू करने की जिम्मेदारी नागपुर के विभागीय कृषि सह निदेशक की होगी। जबकि अमरावती के विभागीय कृषि सह निदेशक को निगरानी अधिकारी के रूप में घोषित किया गया है। विदर्भ के संतरा उत्पादक किसानों का विकास करना योजना का मुख्य लक्ष्य है। संतरा उत्पादक किसानों को फल प्रक्रिया, पैकेजिंग, स्टोरेज, मार्केटिंग, परिवहन और निर्यात को गति देने के संबंध में मार्गदर्शन किया जाएगा।
Created On :   20 Nov 2019 9:40 PM IST