ठाणे में बिल्डिंग गिरने से 76 लोगों की हुई थी मौत, अधिकारी-नगरसेवक को दोषमुक्त करने से HC का इंकार 

Thane building case : HC rejects plea of Nagarsevak and officer
ठाणे में बिल्डिंग गिरने से 76 लोगों की हुई थी मौत, अधिकारी-नगरसेवक को दोषमुक्त करने से HC का इंकार 
ठाणे में बिल्डिंग गिरने से 76 लोगों की हुई थी मौत, अधिकारी-नगरसेवक को दोषमुक्त करने से HC का इंकार 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने इमारत गिरने के मामले में आरोपी महानगरपालिका के उपायुक्त स्तर के अधिकारी व तत्कालीन नगरसेवक के उस आवेदन को खारिज कर दिया है। जिसके तहत दोनों ने खुद को इस मामले से मुक्त किए जाने का आग्रह किया था। 4 अप्रैल 2013 को ठाणे जिले के मुंब्रा इलाके में एक सात मंजिला इमारत गिर गई थी। निर्माण कार्य पूरा होने के महज चार महीने के भीतर इस अवैध इमारत के गिरने से 76 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 64 लोग गंभीर रुप से घायल हो गए थे।

पुलिस ने इस मामले में बिल्डर सहित ठाणे महानगरपालिका के उपायुक्त श्रीकांत सरमोकदम व तत्कालीन नगरसवेक हीरा पाटील व कई अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक व भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में कोई भूमिका न होने का दावा करते हुए सरमोकदम व पाटील ने खुद को मामले से बरी किए जाने की मांग को लेकर ठाणे कोर्ट में अावेदन दायर किया था। कोर्ट ने इनके आवेदन को खारिज कर दिया था। 

निचली अदालत के आदेश को खामीपूर्ण व कारणविहीन होने का दावा करते हुए दोनों ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था। जस्टिस एएस गडकरी के सामने आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान मनपा अधिकारी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता एपी मुंदरगी ने दावा किया कि जब यह हादसा हुआ तो उनके मुवक्किल उस जोन में कार्यरत नहीं थे इसलिए उनका इस मामले से सीधा कोई जुड़ाव नहीं है। निचली अदालत ने मेरे मुवक्किल को राहत न देने को लेकर पर्याप्त कारण नहीं दिए हैं।

इसी तरह नगरसेवक पाटील के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल पर घूसखोरी का आरोप आधारहीन है। महज बिल्डर के पास मिले रजिस्टर में पैसे लेने वालों की सूची में नाम लिखे होने के आधार पर मेरे मुवक्किल को आरोपी नहीं बनाया जा सकता। इसे सबूत के रुप में नहीं स्वीकार किया जा सकता।  वहीं अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए आरोपियों को राहत देने का विरोध किया कि इस मामले के मुकदमे की शुरुआत हो चुकी है।

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस गडकरी ने कहा कि बिल्डर के पास जो रजिस्टर मिले हैं, वह उसके लेखा-जोखा से जुड़ा है। अदालत ने कहा कि मनपा अधिकारी का भले ही उस जोन से तबादला हो गया था, लेकिन हादसे के वक्त उस क्षेत्र का अतिरिक्त प्रभार उसी के पास था। मनपा अधिकारी का नाम भी बिल्डर के रजिस्टर में है। इसे कोई आम रजिस्टर नहीं माना जा सकता है। इसे सबूत के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है। मनपा अधिकारी का काम अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करना था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इसके अलावा पाटील भी अवैध निर्माण के मुद्दे को लेकर मौन रहा। ये तथ्य इस मामले में दोनों आरोपियों की संलिप्तता को दर्शाते हैं। इसलिए उनके आवेदन को खारिज किया जाता है। 

Created On :   15 Sep 2018 1:36 PM GMT

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