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रिहायशी इलाके में भालू ने दो बच्चों को दिया जन्म -तीन दिन बाद हरकत में आया वन विभाग, दिन रात निगरानी

डिजिटल डेस्क शहडोल । दक्षिण वन मण्डल अंतर्गत केशवाही वन परिक्षेत्र के ग्राम कुम्हारी के रिहायसी इलाके में पुलिया के नीचे एक मादा भालू ने दो बच्चों को जन्म दिया। दोनों बच्चे अभी भी वहां मौजूद हैं। इसकी जानकारी होने के बाद भी वन विभाग लापरवाह बना रहा। जब यह खबर वायरल होने लगी तक विभाग हरकत में आया। अब विभागीय अमला उनकी दिन-रात निगरानी कर रहा है।
गौरतलब है कि केशवाही क्षेत्र में भालुओं की संख्या 100 से अधिक है। वे अक्सर आबादी वाले इलाकों में आ धमकते हैं। बताया गया है कि बीते 2 जनवरी को एक मादा भालू वन परिक्षेत्र कुम्हारी तक आ पहुंची। गांव से थोड़ी दूर बनी पुलिया के नीचे दो बच्चों को जन्म दिया। जैसे ही इसकी जानकारी ग्रमीणों को लगी भालू के बच्चों को देखने भीड़ एकत्रित होने लगी। ग्रामीणों का कहना है कि जन्म देने के बाद मादा भालू दिन के समय दिखाई नहीं देती। जान जोखिम में डालकर कुछ लोगों ने बच्चों को दूध पिलाने का काम किया। हालांकि अब स्थल पर पहुंच चुके वन विभाग के लोगों का कहना है कि भालू दिन के समय जंगल की ओर चली जाती है और शाम होते ही अपने बच्चों के पास आती है और सुबह फिर चली जाती है।
कराई मुनादी, कोई न जाए
बच्चों को जन्म देने वाली मादा भालू हिंसक होकर ग्रामीणों को नुकसान न पहुंचाए इसको लेकर वन विभाग सर्तकता बरत रहा है। केशवाही रेंजर नवल किशोर शर्मा ने बताया कि इसकी सूचना पुलिस और सरपंच को दी जा चुकी है। मुनादी करा दी गई है कि कोई भी उस स्थान पर न जाए। उन्होंने बताया कि आज शाम करीब 6.15 बजे मादा भालू अपने बच्चों के पास पहुंची है। सुबह फिर चली जाएगी। जन्म दिए हुए 7 दिन हो गए हैं। बच्चों की आंखे खुल चुकी है। एक दो दिन बाद वह अपने बच्चों को साथ ले जाएगी। तब तक दिन रात स्थल पर कर्मचारी नजर रखे हुए हैं।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।