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अतिवृष्टि का असर... बर्बाद हुई नहरें, एक दर्जन जलाशय भी क्षतिग्रस्त

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। जिले में जुलाई और अगस्त में रिकार्ड बारिश दर्ज की गई है। जिले की कुल औसत बारिश से पौने तीन सौ मिमी ज्यादा बारिश अगस्त में दर्ज की जा चुकी थी। रिकार्ड बारिश मतलब अतिवृष्टि का असर जिले के वर्षों पुराने बांधों और नहरों पर पड़ा है। ज्यादा बारिश से अलग-अलग बांधों से निकली 115 नहरें क्षतिग्रस्त हुई हैं। नहरों के ही साढ़े तीन सौ से ज्यादा स्ट्रक्चर ढहने व क्षतिग्रस्त होने की स्थिति बनी है। जबकि कुल 134 छोटे जलाशयों में से लगभग 1 दर्जन जलाशय भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। स्थिति ने रबी सीजन में सिंचाई की चिंता बढ़ा दी है। सुधार नहीं हुआ तो इसका खामियाजा जलाशयों व नहरों पर आश्रित किसानों को भुगतना पड़ सकता है।
कहीं नहरें धंस गई तो कहीं कटाव की स्थिति:
नहरें: जिले में कुल 134 जलाशय हैं। इनसे जुड़ी करीब 115 नहरें अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई हैं। कहीं बैंक धंस गए हैं, तो कहीं कटाव की स्थिति बनी है। तो अधिकांश जगहों पर नहरें मिट्टी से भर गई हैं। कुछ स्थानों पर कांक्रीट की लाइनिंग टूटने की स्थिति भी बताई जा रही है।
स्ट्रक्चर: अतिवृष्टि से नहरों के अलावा स्ट्रक्चर को भी बड़ा नुकसान पहुंचा है। साढ़े तीन सौ से ज्यादा स्ट्रक्चर के क्षतिग्रस्त होने का आंकलन किया जा रहा है। पुल-पुलिया, साइफन, ड्रेनेज और एक्वाडक्ट के टूटे हैं।
जलाशय: लगभग 12 बांध अतिवृष्टि की चपेट में आए हैं। सौंसर का चिरकुटा गोंदी, गोंडीवाढोना, खोरी, ढोकडोह, अंबाखापा में सबसे ज्यादा नकुसान पहुंचा है। वहीं तामिया के देवखापा, देवखोह, कोल्हिया, कांगला, उमरिया, बांगई में ज्यादा नुकसान की स्थिति है। अधिक वर्षा से इन जलाशयों में वेस्ट वीयर और डाउन स्ट्रीम में क्षति हुई है।
सिंचाई पर संकट... लक्ष्य पाना हो जाएगा कठिन:
अतिवृष्टि से नहरों की बर्बादी का असर आने वाले रबी सीजन में सिंचाई पर पड़ेगा। नहरों के टूटने, मिट्टी भर जाने और कटाव की स्थिति से खेतों तक पानी पहुंचना कठिन हो जाएगा। मध्यम व छोटे जलाशयों से सिंचाई का लक्ष्य करीब 45 हजार हेक्टेयर होता है। इस बार नहरों की खस्ताहाल स्थिति से सिंचाई का लक्ष्य पाना कठिन हो सकता है। हालांकि समय रहते यानी अगले दो माह में सुधार कार्य कर नहरों को दुरूस्त किया जा सकता है।
खैरियत... बांध सुरक्षित, सौ फीसदी भरे:
अतिवृष्टि के बावजूद खैरियत इस बात की मनाई जा सकती है कि बांध वेस्टवीयर व अन्य स्थानों से क्षतिग्रस्त हुए हैं। मुख्य दीवारें पूरी तरह सुरक्षित हैं। जिससे बांध लबालब भरे हुए हैं। 134 में करीब 130 जलाशयों अपनी क्षमता के अनुसार सौ फीसदी तक भर गए हैं। यानी सिंचाई के लिए पानी की कमी नहीं होगी, लेकिन नहरों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से डेम में स्टोरेज पानी का सिंचाई में उपयोग करना कठिन हो जाएगा।
विभाग का कहना... वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया है:
जिले में अतिवृष्टि से नहरों और जलाशयों को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। नहरों के साथ ही जलाशय भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। स्थिति से वरिष्ठ अधिकारियेां को अवगत करा दिया है। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर मरम्मत कार्य का एस्टीमेट भी उन्हें प्रेषित कर दिया गया है। रबी सीजन से पहले सुधार कार्य के प्रयास किए जाएंगे।
- एसएस मोकासदार, ईई, जल संसाधन विभाग
Created On :   6 Sept 2022 10:46 PM IST