Chhindwara News: 120 साल पुराने भवन पर बनना था भारिया म्यूजियम, 21 लाख का प्रस्ताव भेजा, अफसर बदले फाइल बंद

120 साल पुराने भवन पर बनना था भारिया म्यूजियम, 21 लाख का प्रस्ताव भेजा, अफसर बदले फाइल बंद
  • 120 साल पुराने भवन पर बनना था भारिया म्यूजियम
  • 21 लाख का प्रस्ताव भेजा, अफसर बदले फाइल बंद
  • जनजातीय कार्य विभाग की प्रिंसीपल सेक्रेटरी ने मांगा था प्रस्ताव
  • अंग्रेजों ने बिजोरी में बनाया था ये भवन

Chhindwara News: भारिया संस्कृति की झलक को म्यूजियम में सहेजने के लिए तकरीबन दो साल पहले 21 लाख का शुरुआती प्रस्ताव तैयार किया गया था। तामिया के पास बिजोरी में 120 साल पुराने भवन को म्यूजियम का स्वरूप दिया जाना था। जनजातीय कार्य विभाग के माध्यम से प्रस्ताव प्रदेश शासन को भेजा गया। भोपाल स्तर पर फाइल भी चली, लेकिन यहां अधिकारी बदलते ही इस प्रस्ताव की फाइल को भी बंद कर दिया गया।

जनजातीय कार्य विभाग की तत्कालिक प्रिंंसीपल सेके्रटरी दीपाली रस्तोगी के निरीक्षण के दौरान तामिया में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां भारिया संग्रहालय बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। पातालकोट जाने वाले मार्ग पर ग्राम बिजोरी के 120 साल पुराने भवन को संग्रहालय का रूप देना था। तय किया गया था कि यहां भारिया संस्कृति से जुड़ी तमाम जानकारियां होगी, ताकि पातालकोट में घूमने आने वाले पर्यटक यहां की संस्कृति से रूबरू हो सके।

अंग्रेजों ने बनाया था डाकघर, आजादी के बाद बच्चों के लिए बनाया आश्रम

1905 में अंग्रेजों के द्वारा बिजोरी में भवन बनाया गया था। तब यहां डाकघर का संचालन होता था। आजादी के बाद इस भवन मेेंं आश्रम और स्कूल का संचालन शुरु कर दिया गया था। वर्तमान में भवन की हालत खस्ता है। बेशकीमती लकड़ी से बने इस भवन का रेनोवेशन किए जाने के बाद इसे म्यूजियम का स्वरूप दिया जाना था।

क्या बनी थी प्लॉनिंग

शासन को पहुंचाए गए प्रस्ताव में सालों पुराने भवन में भारिया संस्कृति से जुड़ी संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित किया जाना था। इसके अलावा जड़ी-बूटी विक्रय केेंद्र के साथ ही पातालकोट के गांवों की जानकारी म्यूजियम में रखने का प्रस्ताव था, ताकि पर्यटक पातालकोट जाने के पहले यहां रहने वाले भारिया जनजाति की तमाम जानकारी हासिल कर सकें।

यहां संग्रहालय इसलिए भी जरुरी

भारिया जनजाति मध्यप्रदेश में सिर्फ छिंदवाड़ा के पातालकोट में पाई जाती है। इनकी संस्कृति से आज भी आमजन अनजान है। पातालकोट की पहाडिय़ों और भारिया जनजाति को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं। पातालकोट के 12 गांव आज भी रहस्य बने हुए हैं, लेकिन यहां पर्यटन का जैसा विकास होना चाहिए था वैसा नहीं हो पाया है।

Created On :   18 May 2025 6:15 PM IST

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