रुपए निकालने गिड़गिड़ाता रहा परिवार, बैंक अधिकारियों ने नहीं सुनी, इलाज न मिलने पर हो गई वृद्ध की मौत

The family kept on asking for money, bank officials did not listen, the old man died due to lack of treatment
रुपए निकालने गिड़गिड़ाता रहा परिवार, बैंक अधिकारियों ने नहीं सुनी, इलाज न मिलने पर हो गई वृद्ध की मौत
रुपए निकालने गिड़गिड़ाता रहा परिवार, बैंक अधिकारियों ने नहीं सुनी, इलाज न मिलने पर हो गई वृद्ध की मौत


डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/परासिया। लकवा लगने से बीमार मंगलू अपने परिजनों के साथ भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रुपए निकालने के लिए पिछले पांच दिनों से चक्कर काटता रहा। बैंक अधिकारियों को उसके परिजनों ने इलाज संबंधित तमाम दस्तावेज भी दिखाए, लेकिन तानाशाह अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी और उसको भटकाते रहे। अखिरकार वृद्ध मंगलू बैंक परिसर में ही दम तोड़ दिया। मामला भारतीय स्टेट बैंक शाखा चांदामेटा का है।  बुजुर्ग की मौत के बाद आक्रोशित लोगों ने बैंक परिसन में जमकर हंगामा किया। सूचना पर डीएसपी और टीआई बैंक पहुंचे। मृतक के परिजनों ने पुलिस अधिकारियों से बैंक अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है।
जानकारी के अुनसार तहसील उमरेठ के घोघरी रैय्यत निवासी लकवा ग्रसित वृद्ध मंगलू इवनाती का एसबीआई की चांदामेटा ब्रांच में 22 लाख रुपए जमा हैं। मंगलू के अस्वस्थ होने पर बैंक खाता से राशि निकालना उसके परिवार के लिए मुश्किल हो गया था। मंगलू का इलाज छिंदवाड़ा के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। उसके इलाज के लिए पैसे की जरुरत थी। मंगलू का परिवार बैंक के चक्कर काटता रहा। वहीं बीमार पिता की स्थिति ऐसी नहीं थी कि उन्हें अस्पताल से बैंक लेकर आए। बैंक प्रबंधक को सभी स्थिति से अवगत कराया जा चुका था, यहां तक कि डॉक्टर और इलाज के कागजात भी दिखाए गए, किन्तु बैंक प्रबंधक उन्हें लगातार भ्रमित कर खाली हाथ लौटता रहा। उन्होंने बताया कि बैंक प्रबंधक के कहने पर ही मंगलू सहित उसके परिवार में शामिल सभी सदस्यों को शनिवार 11 बजे बैंक में बुलाया गया। बैंक प्रबंधक विभागीय कार्य से छिंदवाड़ा में होने से बैंक से रुपए नहीं निकल सके। इस बीच बैंक प्रांगण में खड़ी गाड़ी में मौजूद मंगलू की मौत हो गई।
खाते में 22 लाख रुपए जमा है-
वेकोलि के सेवानिवृत कर्मचारी मंगलू का चांदामेटा एसबीआई बैंक में खाता हैं। सेवानिवृत्त होने पर मिले फंड और ग्रेज्यूटी के रूपए उसने इसी बैंक में जमा किए हैं। मंगलू के खाते में वर्तमान में 10 लाख रूपए की एफडी और 12 लाख रूपए चालू खाते में जमा हैं। इलाज खर्च के लिए अपने ही खाते से वह राशि नहीं निकाल सका। बैंक से रुपए नहीं मिलने और इलाज के अभाव में बीमार मंगलू की बैंक परिसर में ही मौत हो गई।
पांच दिन से चक्कर काट रहे परिजन-

मृतक के बेटे संतोष और किशोर ने बताया कि बैंक से पैसा निकालने वे बीते पांच दिनों से बैंक के चक्कर काट रहे हैं। परिजनों के अनुसार बैंक अधिकारी के कहने पर मंगलू को मंगलवार एक अक्टूबर को वाहन से लेकर बैंक पहुंचे थे, यहां दोपहर से शाम तक रोककर रखा गया, फिर शाम को 40 हजार रुपए खाते से दिए गए। बैंक प्रबंधक के कहने पर शनिवार को जब पूरा परिवार बीमार बुजुर्ग को लेकर बैंक पहुंचे तो कर्मचारियों ने बताया कि अभी शाखा प्रबंधक नहीं है।
इनका कहना है-
 उपभोक्ता बीमार था। बैंक प्रबंधन द्वारा उसके परिजनों को नियमों का हवाला देकर टाला गया। रुपए और इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई। इस मामले में उच्चाधिकारियों से शिकायत कर मामले की जांच कराई जाएगी।
सोहन वाल्मिक, विधायक परासिया
 सूचना मिलने पर घटना स्थल पर पहुंचकर परिजनों से चर्चा की। मृतक के परिजनों ने बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ लिखित शिकायत की है। मामले की जांच होगी।
--- डॉ अरविंद, एसडीओपी, परासिया

Created On :   5 Oct 2019 4:40 PM GMT

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