'कंक्रीट के जंगल' से मिलेगा जैविक खेती को बढ़ावा, जानिए कैसे ?

The state government will Promote organic farming from big cities
'कंक्रीट के जंगल' से मिलेगा जैविक खेती को बढ़ावा, जानिए कैसे ?
'कंक्रीट के जंगल' से मिलेगा जैविक खेती को बढ़ावा, जानिए कैसे ?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगरों की ऊंची-ऊंची इमारतों से हर रोज निकलने वाले हजारो टन कचरे से देश में खेती हरी-भरी हो सकती है। महाराष्ट्र सरकार भी इस दिशा में कार्य कर रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने ‘हरित महा सिटी कम्पोस्ट’ ब्रांड तैयार किया है। साथ ही निजी कंपनियां उनकी तकनीक का इस्तेमाल कर कचरे से बनने वाले जैविक खाद को खुद खरीद भी रही है। गोरेगांव के राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र पर गुरुवार से शुरु हुए तीन दिवसीय प्रदर्शनी क्लीन इंडिया शो का उद्घाटन राज्य के नगर विकास राज्यमंत्री डा रणजीत पाटील ने किया। कचरा प्रबंधन और साफ-सफाई के क्षेत्र में काम करने वाली दुनियाभर की 200 कंपनियां इस अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में हिस्सा ले रही हैं।


साफ-सफाई और स्वच्छता के क्षेत्र में तकनीक का महत्व बढ़ा

डॉ पाटील ने कहा कि साफ-सफाई और स्वच्छता के क्षेत्र में तकनीक का महत्व काफी बढ़ गया है। हाउसिंग सोसाईटियों के कचरा प्रबंधन के लिए मशीन तैयार करने वाली ठाणे की कंपनी लाह ग्रीन इंडिया के निदेशक साजी थामस ने बताया की 1 लाख 75 हजार की कीमत वाली मशीन हर रोज 15 किलो कचरे को जैविक खाद में तब्दील कर देती है। कंपनी हाउसिंग सोसाईटियों से यह खाद खरीद कर किसानों में बांट देती है। थामस का कहना है कि आईआईटी-मुंबई के तकनीकी सहयोग से यह तैयार इस मशीन से कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ सकता है। कंपनी ने 2 हजार किलो वाली क्षमता वाली मशीने भी तैयार की है। मुंबई शहर से हर रोज करीब 9 हजार टन कचरा निकलना है। इस कचरे से 90 टन जैविक खाद तैयार किया जा सकता है। थामस बताते हैं कि थेर्मोफिलिक बैक्टिरिया की मदद से यह मशीन कचरे को जैविक खाद में बदलती है। 


‘हरित महासिटी कम्पोस्ट’ तैयार

राज्य के नगर विकास राज्य मंत्री डा रणजीत पाटील ने बताया कि कचरे से  बनने वाले खाद को बाजार उपलब्ध कराने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने ‘हरित महासिटी कम्पोस्ट’ तैयार किया है। इसके तहत सरकार हाउसिंग सोसाईटियों में कचरे से बनने वाले खाद की जांच के उसे प्रमाणित करे बेचने की अनुमति देगी। स्वमसेवी संगठनों की मदद से यह खाद खेतों तक पहुंचेगी। इससे हाउसिंग सोसाईटियों को आमदनी भी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि इससे दोहरा लाभ होगा। शहरों में कचरे के प्रबंधन के साथ ही जैविक खेती को भी बढ़ावा मिल सकेगा। प्रदर्शनी की आयोजक वीआईएस के समूहके निदेशक मंगला चंद्रन कहते हैं कि देशभर के शहरों से हर रोज करीब 2 लाख टन कचरा निकलता है। इसके उचित प्रबंधन से हम देश को प्रगति के रास्ते पर ले जा सकते हैं।

Created On :   18 Jan 2018 7:24 PM IST

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