मिलावटी तेल का खूब चल रहा धंधा, पुलिस ने छापा मारकर जब्त किया माल

There is a lot of adulterated oil business, police raided and seized the goods
मिलावटी तेल का खूब चल रहा धंधा, पुलिस ने छापा मारकर जब्त किया माल
मिलावटी तेल का खूब चल रहा धंधा, पुलिस ने छापा मारकर जब्त किया माल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कामठी पुलिस ने हाल ही में  छापा मारकर मिलावटी तेल के गोरखधंधे का खुलासा किया है। छापे में  खाद्य तेल में मिलावट कर बेचने वाली दो दुकानों से 22 तेल के डिब्बे और कच्चे तेल के दो ड्रम जब्त किए गए थे। मामले में पुलिस ने शहर में बड़े स्तर पर मिलावटी तेल का धंधा चलने की आशंका भी जाहिर की थी। साफ है शहर में मिलावटी तेल का खेल चल रहा है। वैसे तो यह धंधा साल भर चलता है, लेकिन त्योहार के समय मांग बढ़ने पर बाजार में मिलावटी तेल की मात्रा भी बढ़ जाती है।

राष्ट्रीय स्तर पर विष मुक्त अन्न, रोग मुक्त शरीर अभियान चलाने वाले अविनाश काकडे सीधे सवाल उठाते हैं कि थोक में लगभग 80 रुपए किलो मूल्य वाले मूंगफली का तेल बाजार में 100 रुपए लीटर मिलता है। इसमें खुले तेल ही नहीं, स्थानीय ब्रांड से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे ब्रांड शामिल हैं। उन्होंने कहा कि एक लीटर तेल के लिए कम से कम ढाई किलो मूंगफली भी आवश्यकता होती है। लगभग यही हिसाब सरसो, सोयाबीन, कपास जैसे अन्य तेलहनों में भी लागू होता है। साफ है कि सभी प्रकार के खाद्य तेल में ऐसी चीज की मिलावट की जाती है, जो इन तेलहन फसलों की तुलना में काफी सस्ता है और वह है पॉम ऑयल, जिसे विशेषज्ञों ने मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया है।

पहले भी सामने आए मामले
शहर में सोयाबीन और मूंगफली के तेल में सस्ते तेलों के मिलावट सबसे ज्यादा होती है। वर्ष 2017 में वर्धा के सीए ट्रेडर्स और 2018 में नागपुर के न्यू लक्ष्मी के ठिकानों पर एफडीए के छापों में बड़ी मात्रा में कई ब्रांडेड तेलों में सस्ते तेलों की मिलावट पकड़ी गई थी। सोयाबीन और मूंगफली तेलों की मांग ज्यादा होने के कारण सबसे ज्यादा इन्हीं तेलों में मिलावट के मामले सामने आते हैं। एफडीए से रिटायर्ड अधिकारी ने माना कि नागपुर में खुले तेल में बड़े स्तर पर मिलावट की घटनाएं सामने आती रही हैं।

मिलावट का तर्क
काकडे के अनुसार सरकार की ओर से खाद्य तेल सहित अन्य पदार्थों में पोषक तत्व बढ़ाने के लिए मिश्रण की अनुमति की आड़ में बड़े स्तर पर मिलावट का खेल चलता हैं। प्रिवेंशन ऑव फूड ऐडल्टरेशन रूल्स, 1955 में स्पष्ट कहा गया है कि स्वास्थ्य रक्षा की दृष्टि से प्रत्येक खाद्य पदार्थ की उपादेयता उससे प्राप्त पोषक सारों की मात्रा पर निर्भर है। पोषक सारों (न्यूट्रिशन वैल्यू) की मात्रा बढ़ाने के लिए या भोजन पकाने से उनकी मात्रा कम न होने देने के लिए खाद्य की गुणवृद्धि अथवा समृद्धि की जाती है। यह कार्य वैज्ञानिक रीति से जनता में व्याप्त कुपोषण दूर करने के सदुद्देश्य से करना प्रशंसनीय है। 

फैक्ट चेक
दैनिक भास्कर ने घाट रोड स्थित कच्च घाणी चलाने वाले तेजस शर्मा से विभिन्न तेलहनों और उससे निकलने वाले तेल के अनुपात का गणित समझने की कोशिश की। शर्मा के अनुसार मूंगफली के एक लीटर तेल के लिए उन्हें ढाई किलो मूंगफली के तेल की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि थोक मूल्य में लगभग 80 रुपए किलो के हिसाब से कम से कम 200 रुपए की मूंगफली की जरूरत होगी। इसके अलावा मजदूरी, पेराई, पैकेजिंग का खर्च आएगा। इस तरह एक लीटर मूंगफली के तेल की कीमत कम से कम 250 से 275 रुपए आएगी। उन्होंने सरसों, जवस जैसे अन्य तेलहनों का भी हिसाब बताया। हर मामले में शुद्ध तेल का मूल्य बाजार में उपलब्ध तेल की कीमत से काफी ज्यादा होती है।

सेहत के लिए खतरनाक
देश में प्रचलित विभिन्न खाद्य तेलों के स्वास्थ्य पर अच्छे व खराब असर पर रिसर्च करने वाली दिल्ली यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. इरम राव के अनुसार पाॅम ऑयल में सैचुरेटेड फैट की मात्रा काफी उच्च होती है, जो हृदय संबंधी  रोगों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार माना जाता है। 

मिलावट  का खेल
वनस्पति घी के साथ ब्लेंडेड ऑयल के नाम पर सोयाबीन, सूर्यमुखी या सरसों तेल में भी मिलावट होती है।  
सोयाबीन और सूर्यमुखी तेलों का आयात मूल्य 90 रुपए प्रति लीटर, जबकि पॉम ऑयल का महज 45 रुपए लीटर। 
दो करोड़ टन खाद्य तेलों की खपत देश में सालाना, जबकि घरेलू उत्पादन 65 लाख टन
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण से नियमों को कठोर बनाने की सिफारिश थी 
 

Created On :   16 Oct 2019 10:46 AM GMT

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