बाइकर की जरा भी गलती नहीं क्योंकि, जिस वाहन से टकराया, उसकी पार्किंग लाइट थी बंद

There is no fault of biker because parking light of the vehicle it collided with was off
बाइकर की जरा भी गलती नहीं क्योंकि, जिस वाहन से टकराया, उसकी पार्किंग लाइट थी बंद
हाईकोर्ट बाइकर की जरा भी गलती नहीं क्योंकि, जिस वाहन से टकराया, उसकी पार्किंग लाइट थी बंद

डिजिटल डेस्क, औरंगाबाद। बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने हाल ही में कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत एक स्थिर वाहन को टक्कर मारने के लिए अभिदायी लापरवाही के रूप में एक मोटरसाइकिल सवार को आंशिक रूप से भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, अगर सड़क पर वाहन की पार्किंग लाइट बंद थी। न्यायमूर्ति एसजी डिगे की पीठ ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) द्वारा दिए गए 13,91 लाख रुपए के मुआवजे में 25.59 लाख रुपए की बढ़ाेतरी करते हुए मृतक के परिजन को कुल 39.51 लाख रुपए का मुआवजा 6 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया। अदालत मृतक बाइकर मोहनराव सालुंखे, जो कि घटना के समय 46 वर्ष का था, के परिजन द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें लातूर एमएसीटी द्वारा दिए गए मुआवजे को बढ़ाए जाने की मांग की गई थी।

यह था प्रकरण

सालुंखे 9 अक्टूबर, 2009 को रात करीब 10 बजे अपनी मोटरसाइकिल पर अंबाजोगाई तहसील में अपने गांव की ओर जा रहे थे। जब वह रेणापुर के पास लातूर-अंबाजोगाई मार्ग पर कौशिक ढाबे के पास से गुजर रहे थे, तो वह सड़क पर खड़े एक स्थिर मोटर टेम्पो से टकरा गए। उन्हें गंभीर चोटें आईं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसके बाद टेम्पो चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया था। अदालत में कहा गया कि बाइक सवार बेहद तेज गति से गाड़ी चला रहा था, इस कारण वह बाइक की हेडलाइट से वाहन को देखने के बावजूद उससे टकरा गया।

नियमों का पालन आवश्यक, दूसरों को जिम्मेदार बताने के बजाय अपनी लापरवाही स्वीकार करें

न्यायमूर्ति डिगे ने सुनवाई के बाद कहा कि यह रिकार्ड पर दर्ज किया गया है कि आपत्तिजनक टेम्पो पर कोई पार्किंग लाइट नहीं लगाई गई थी, जिससे मृतक सड़क से गुजरते हुए सावधानी नहीं बरत पाया और दुर्घटना का शिकार हो गया। इसलिए मृतक पर अंशदायी दुर्घटना का दायित्व तय नहीं किया जा सकता है, कि उसे मोटरसाइकिल की हेडलाइट से वहां मौजूद टेम्पो को देखना ही चाहिए था। उन्होंने कहा कि सड़क पर स्थिर वाहन द्वारा सावधानी बरतने के संबंध में विशिष्ट नियम बनाए गए हैं। ऐसे में यदि स्थिर वाहन के चालक / मालिक द्वारा सावधानियां नहीं बरती जाती हैं, तो मोटरसाइकिल सवार पर दायित्व को जरा भी स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति डिगे ने कहा कि मैं न्यायाधिकरण की टिप्पणियों को खारिज कर रहा हूं कि उक्त दुर्घटना में मृतक की भी 50 प्रतिशत अंशदायी लापरवाही थी और मैं मानता हूं कि, दुर्घटना के लिए पूरी तरह से टेम्पो का चालक जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि मैं न्यायाधिकरण के अंशदायी लापरवाही के निष्कर्षों को समझने में असमर्थ हूं, क्योंकि रिकार्ड स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि रात में सड़क पर खड़े होने के बावजूद टेम्पो का कोई टेल लैंप या संकेतक चालू नहीं था और अन्य वाहनों को सिग्नल देने के लिए ड्राइवर द्वारा कोई उचित सावधानी नहीं बरती गई थी। इसी के साथ पीठ ने न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए 13,91 लाख रुपए के मुआवजे में 25.59 लाख रुपए की बढ़ाेतरी की और उस पर देयक तिथि तक 6 प्रतिशत ब्याज भी देने का आदेश दिया।

Created On :   10 Nov 2022 5:14 PM IST

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