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कभी मलेशिया तक थी शहडोल के छतवई में बनी कालीन की डिमांड
डिजिटल डेस्क,शहडोल। हस्त शिल्प व हथकरघा केंद्र छतवई में बनने वाली कालीन की कभी देश में चेन्नई, नोयडा व कोलकाता से लेकर विदेश में मलेशिया तक में डिमांड थी। विधानसभा भोपाल में भी यहां बनी कालीन बिछी थी। अब तीन साल से हालात यह है कि इकाई पूरी तरह से ठप पड़ी है। यहां पंजीकृत 230 से ज्यादा बुनकर बेरोजगार बैठे हैं या हुनर से हटकर दूसरे काम करने विवश हैं। खासबात यह है कि महज 25 से 30 लाख रुपए का बजट नहीं मिलने के कारण यह इकाई पूरी तरह से बंद होने की कगार पर पहुंच गया है।
शिल्पियों के लिए था वरदान, अब सामग्री नहीं मिलने से हो रहे परेशान
1991 में केंद्र की शुरुआत की गई थी। इसमें 18 से 35 वर्ष तक के युवाओं को कालीन बनाने से लेकर दरी के साथ ही लकड़ी व लोहे के आकर्षक सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। प्रशिक्षण के बाद शिल्पियों को कच्चा माल उपलब्ध करा दिया जाता था, जिसे बनाकर वे केंद्र में जम करते और उसकी बिक्री से उन्हे वापस राशि मिलती थी। बीतते समय के साथ केंद्र संचालन में कच्चा माल खरीदने के लिए बजट की कमीं हुई और शिल्पियों को सामग्री नहीं मिलने के बाद वे इस काम से दूर होते चले गए।
2012 से नहीं मिल रही राशि
केंद्र संचालन के लिए 2012 से पहले तक बैगा विकास परियोजना व जिला पंचायत से राशि मिलती थी। केंद्र से जुड़े लोग बताते हैं कि 25 से 30 लाख रुपए में 50 लोगों का काम चल रहा था। कुछ समय तक भोपाल से बजट मिला अब वह भी नहीं मिल रही है।
-केंद्र को फिर से चलाएंगे। कोशिश होगी कि सभी बुनकरों को काम मिले।
वंदना वैद्य कलेक्टर
Created On :   24 Aug 2022 6:26 PM IST