पशुओं की हेल्प के लिए तैयार रहता है येे एनिमल शेल्टर

This animal shelter in bhandewadi is always ready to help animals
पशुओं की हेल्प के लिए तैयार रहता है येे एनिमल शेल्टर
पशुओं की हेल्प के लिए तैयार रहता है येे एनिमल शेल्टर

डिजिटल डेस्क,नागपुर। मानव सेवा को सर्वोपरि मानते हुए जहांं कुछ लोग हेल्प के लिए हमेशाा तैयार रहते हैैंं, वहीं इंसानों का पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम पुराना है, जिसके लिए समाज के कुछ लोग इनकी सेवा में काेई कमी नहीं कर रहे हैं। शहर के भांडेवाड़ी में बने एनिमल शेल्टर की शुरुआत 2012 से हुई थी। यहां अभी तक लगभग 10 हजार जानवरों की मदद की जा चुकी है। यहां समाज सेवी समय-समय पर अपनी सेवाएं देते रहते हैं।

गर्मी से बचाने करते हैैं उपाय
अभी जिस तरह भीषण गर्मी पड़ रही है, इससे इंसान ही नहीं, पशु-पक्षी भी परेशान हो रहे हैं। इन्हें गर्मी से बचाने के लिए एनिमल शेल्टर में कूलर लगाए हैं, जिससे उन्हें राहत मिल सके। साथ ही जानवरों को चिकित्सकीय सहायता पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था भी है। यहां दिए गए हेल्पलाइन नंबर पर अगर आधी रात को भी किसी पशु-पक्षी के घायल होने के फोन आते हैं, तो तुरंत एम्बुलेंस वहां पहुंचकर घायल पशु-पक्षी को एनिलम शेल्टर ले आती है और उसका उपचार किया जाता है। पशु-पक्षियों के लिए डॉ. करिश्मा गुल्हानी, सुधा अग्रवाल, शैफाली कुमार, विनोद घाटे, राजीव पंचमटियार, विनय त्रिपलानी, रूप वाधवानी, किरीट जोशी, कैलाश सोनवानी द्वारा अावश्यक वस्तुएं पहुंचाई जाती हैं। एनिमल शेल्टर में श्वान, बिल्ली, बंदर आदि के लिए व्यवस्था की गई है।

सूचना मिलते ही मौके पर हो जाते हैं हाजिर
एनिमल शेल्टर की शुरुआत की थी, तो थोड़ी तकलीफ हुई थी। लोग कम थे और काम ज्यादा, फिर धीरे-धीरे हमें महानगर पालिका से भी मदद मिलनी शुरू हुई। फिर इससे कई लोग जुड़ते गए और आज 6 वर्ष में हम करीब 10000 जानवरों की सेवा कर चुके हैं। ट्रैफिक एक्सिडेंट में घायल जानवरों की मदद के लिए हमारी हेल्पलाइन कार्यरत है। अगर किसी भी जानवर की दुर्घटना आदि हो जाती है और सूचना मिलती है, तो तुरंत उसकी मदद की जाती है। इस आशियाने में जानवर तब तक रहते हैं, जब तक कि वे पूर्ण रूप से स्वस्थ न हो जाएं या उनको अपने वास्तविक रहवास में न पहुंचा दिया जाए। इतना ही नहीं, एनिमल शेल्टर में वाटर टैंकर की भी सुविधा है, ताकि गर्मी के मौसम में जानवरों के लिए पानी उपलब्ध हो सके। रेबीज नियंत्रण के लिए समय-समय पर एंटी रेबीज कैंपेन भी चलाया जाता है।

बोरों में भरकर भेजते हैं टोस्ट
एनिमल शेल्टर के जानवरों के लिए 15 लीटर दूध आता है, ताकि उन्हें दूध मिल सके। कुछ लोग संडे छुट्टी के दिन भी दूध भेजते हैं। हर कोई अपनी सामर्थ्य के अनुसार काम करता है। एनिमल शेल्टर के जानवरों के लिए प्रतिदिन दलिया और चावल की व्यवस्था भी की गई है। कुछ लोग ऐेसे हैं, जो इनके लिए दवाई आदि का भी इंतजाम करते हैं। 20-20 बोरे भरकर टोस्ट इन जानवरों को नियमित रूप से देते हैं। गर्मी के पहले ही यहां पर कूलर लगा दिए जाते हैं, ताकि जानवर बीमार न हों। कुछ जानवरों के लिए पिंजरे भी दिए जाते हैं, ताकि वे पिंजरे में रहें।
 

Created On :   21 May 2018 9:27 AM GMT

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