इस शख्स ने मौसमीं बदलाव के प्रति लोगों को जागरूक करने 35 देशों की यात्रा कर लगाए पेड़

This man traveled 35 countries to aware people regarding seasonal changes
इस शख्स ने मौसमीं बदलाव के प्रति लोगों को जागरूक करने 35 देशों की यात्रा कर लगाए पेड़
इस शख्स ने मौसमीं बदलाव के प्रति लोगों को जागरूक करने 35 देशों की यात्रा कर लगाए पेड़

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मौसम में बदलाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 36 साल के विष्णुदास चापके पिछले तीन सालों में 35 देशों की यात्रा कर चुके हैं। चापके जहां जाते हैं वहां के लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए एक पेड़ लगाते हैं। हाल ही में भारत वापस लौटे चापके ने कहा कि यात्रा से जुड़े अपने अनुभवों को लेकर वे एक किताब लिखेंगे जिसकी बिक्री से मिलने वाला सारा पैसा किसानों की मदद के लिए दिया जाएगा। मूल रुप से मराठवाडा के परभणी जिले के रहने वाले पेशे से पत्रकार चापके के पास पैसे या संसाधन नहीं थे। इसके बावजूद उन्होंने हौसला दिखाया और 19 मार्च 2016 को सड़क के रास्ते यात्रा पर निकल पड़े। एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका के 35 देश घूमने के बाद वे 22 मार्च 2019 स्वदेश लौटे हैं। यात्रा से जुड़े अपने अनुभवों को ‘दैनिक भास्कर’ से साझा करते हुए चापके ने बताया कि वे अक्सर लिफ्ट लेकर एक जगह से दूसरी जगह जाते थे। रहने के लिए होटल का खर्च नहीं उठा सकते थे इसलिए सड़क किनारे और कई बार लोगों से पूछकर उनके घर के बाहर सो जाते थे। चापके ने बताया कि यात्रा के दौरान कई बार परेशानियां आतीं थीं और उन्हें लगता था कि वे फिर घर वापस लौट जाएं लेकिन फिर उन्हें अंदर से प्रेरणा मिलती थी और अपनी राह पर आगे बढ़ निकलते थे। भूख मिटाने के लिए वे सिर्फ फल सब्जियां आदि खरीदकर खा लेते थे। चापके ने बताया कि दूसरे देशों के लोगों के साथ उनका अनुभव बेहद अच्छा रहा। इक्का दुक्का वारदातों को छोड़ दें तो ज्यादातर लोगों ने उनकी मदद की। उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोगों को बॉलीबुड फिल्मों की जानकारी थी। शोले, थ्री ईडियट और दंगल जैसी फिल्मों और अमिताभ बच्चन, आमिर खान जैसे अभिनेताओं के बारे में पता था। इसके अलावा सूचना तकनीक और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय सफलताओं के बारे में भी लोग जानते हैं। 

जिसने बताया रास्ता उसी ने लूटा

चापके ने बताया कि तीन साल के दौरान वे दो बार आपराधिक वारदात के शिकार हुए। एक बार उन्होंने जिस शख्स से लिफ्ट ली थी उसने रास्ते में उतार दिया। इसके बाद एक शख्स से उन्होंने रास्ता पूछा। उसने चापके को गलत रास्ता बताया और फिर वहीं शख्स आगे उस सुनसान रास्ते पर मिला और चापके को चाकू दिखाकर उनका मोबाइल और पैसे छीन लिए। इसके अलावा एक बार ट्रेन में उनका मोबाइल चोरी हुआ था। लेकिन चापके कहते हैं कि इस तरह के छोटे मोटे अपराध कहीं भी हो सकते हैं। तीन सालों में हुई इन दो वारदातों को नजरअंदाज किया जा सकता है। 

एयरलाइन ने मुफ्त में दिया टिकट

चापके ने बताया कि उनके पास ज्यादा पैसे नहीं होते थे इसलिए वे कम से कम खर्च करना चाहते थे। ऑस्ट्रेलिया से उन्हें चिली जाना था इसके लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के क्वांटस एयर लाइन की फ्लाइट बुक कराई थी जो न्यूजीलैंड होते हुए जाती थी। सस्ते टिकट के चलते उन्होंने यह रास्ता चुना था लेकिन ट्रांजिट वीजा न होने के चलते न्यूजीलैंड में उन्हें रोक लिया गया। वे बेहद परेशान थे क्योंकि फ्लाइट चली गई और उनके पास पैसे नहीं बचे थे। उन्होंने एयरलाइन के अधिकारियों से अपनी परेशानी साझा की और यात्रा का मकसद बताया तो उन्हें मुफ्त में टिकट दे दिया गया। चापके अनुसार इस यात्रा के दौरान सोशल मीडिया से बड़ी मदद मिली। इसके चलते कई देशों में भारतीयों से सम्पर्क हो सका और उसके घर ठहरने का भी मौका मिला। इस यात्रा को पूरी करने के लिए टाटा ट्रस्ट से भी उन्हें आर्थिक मदद मिली थी। मृदभाषी चापके जहां भी जाते लोगों को अपना बना लेते थे।  

पाकिस्तान ने नहीं दिया वीजा

चापके पाकिस्तान के रास्ते भारत वापस आना चाहते थे लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें वीजा नहीं दिया। इसके चलते उन्हें मध्य एशिया के देशों से चीन होते हुए भारत आना पड़ा जिससे तीन महीने की यात्रा और करनी पड़ी। चापके के मुताबिक पाकिस्तानी अधिकारियों ने उन्हें वीजा न देने की वजह कभी नहीं बताई। 
 

Created On :   1 April 2019 5:59 PM IST

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